Saturday, July 27, 2024
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दिल्ली जल बोर्ड करेप्शन का जिन्न जागा : आप नेताओं के ठिकानों पर ईडी का छापा, पढ़िये सांसद का यूपी कनेक्शन


New Delhi News : देश में आम चुनाव की आहट सुनकर दिल्ली जल बोर्ड में करेप्शन का जिन्न जाग गया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मंगलवार को सीएम अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार समेत आम आदमी पार्टी के नेताओं के 10 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। टीम बिभव कुमार के रिश्तेदार राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता के आवास पर भी छापेमारी कर रही है। सांसद एनडी गुप्ता का यूपी कनेक्शन भी सामने आया है।
 
आईपीएस से राज्यसभा सांसद का कनेक्शन
'आप' से राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता यूपी में एडीजी (स्थापना)/डीजीपी मुख्यालय संजय सिंघल के ससुर हैं। संजय 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और अक्टूबर-2020 से एडीजी (स्थापना)/डीजीपी मुख्यालय के पद पर तैनात हैं। इससे पहले इस पद पर 1991 बैच के पीयूष आन्नद तैनात थे। 

कौन हैं एनडी गुप्ता
एनडी गुप्ता यानी नारायण दास गुप्ता दिल्ली के एनसीटी से राज्यसभा सांसद और प्रैक्टिसिंग चार्टर्ड अकाउंटेंट और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) के पूर्व अध्यक्ष हैं। वह एक वित्तीय नीति विशेषज्ञ कहे जाते हैं, जिन्होंने बहुत सारी किताबें भी लिखी हैं। वो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ अकाउंटेंट्स, यूएसए के बोर्ड में चुने जाने वाले पहले इंडियन भी हैं। 

विवादों में रहे हैं बिभव
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव पहले भी विवादों में रहे हैं। उन्हें दिल्ली सरकार की ओर से पहले टाइप-6 बंगला दिया गया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था। लेकिन, बवाल बढ़ने पर इस आदेश को रद्द कर दिया गया था। इसके बाद सतर्कता निदेशालय ने उन्हें टाइप-4 बंगला आवंटित किया था।
 
जानिए क्या है पूरा मामला
18 नवंबर-2023 को केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली जल बोर्ड में 3,237 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया था। उन्होंने जल बोर्ड के बैंक खातों की इस्टेटमेंट और वित्तीय रिपोर्ट का जिक्र भी किया था। उन्होंने कहा था कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच बोर्ड के वित्तीय खर्च के बारे में कई जानकारियां छिपाई गईं हैं। वर्ष 2017-18 के बाद से बोर्ड के खातों की डिटेल डिक्लरेशन भी सही ढंग से नहीं की गई। बोर्ड में इसी तरह के कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं हैं। बैंक एडजस्टमेंट के नाम पर लगभग लगभग 117 करोड़ रुपये की एंट्री दिखाई गई है, जो कहीं से भी जायज नहीं लग रही है। लगभग 135 करोड़ रुपये की एफडी प्रमाणपत्रों की जानकारी भी उपलब्ध नहीं है। बोर्ड की वित्तीय इस्टेटमेंट में खर्च नहीं होने वाली राशि में लगभग 1,601 करोड़ रुपये दिखाए गए हैं, जबकि बोर्ड के खातों में यह राशि कहीं दिख नहीं रही है।

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