कोरबा: झमाझम बारिश से जिले के खूबसूरत पर्यटन केंद्रों की खूबसूरती में निखार आ गया है. लेमरू और सतरंगा का विहंगम नजारा लोगों को खूब लुभा रहा है. वहीं, देवपहरी के करीब 90 फीट ऊंचे चट्टान से गिरते झरने को देखने के लिए पर्यटक पहुंचने लगे हैं.औद्योगिक नगरी कोरबा की गिनती प्रदूषित शहरों में जरूर होती है, लेकिन जिले में ऐसे खूबसूरत इलाके भी हैं, जहां पॉल्यूशन और शोर शराबे से दूर मन को सुकून मिलता है. जिले का सबसे पुराना पर्यटन केंद्र देवपहरी का गोविंद झुंझ वाटरफॉल अपने सबाब पर है. विशाल चोरनई नदी से करीब 90 फीट नीचे गिरते झरने की आवाज 200 मीटर दूर तक सुनाई देती है.
तीनो ओर से पहाड़ियों से घिरे इस वाटर फॉल की खूबसूरती बारिश के दिनों और बढ़ जाती. दूर-दूर से लोग प्रकृति की वादियों में वक्त बिताने आते है. ये वाटर फॉल जिले का सबसे पुराना है.देवपहरी गांव के किनारे चोरनई नदी पर स्थित गोविंद झूझा जलप्रपात अपने आप में मनमोहक है. प्राकृतिक दृष्टि से देखें तो चारों ओर पहाड़ और पठार से घिरा हुआ है. बीच के भाग में मैदानी क्षेत्र है. दोपहर में सूर्य की तेज से पत्थर की चमक बढ़ जाती है. गोविंद झूझा जलप्रपात हमें भेड़ाघाट की याद दिलाती है. पत्थरों को चीरते हुए चोरनई नदी आगे बढ़ती है.यह आगे जाकर हसदेव नदी पर मिलती है.
जानलेवा भी है यह पिकनिक स्पॉट
आपको बता दे कि व्यापारी पर्यटन स्थल जितना मनमोहक है उतना ही जानलेवा भी. घूमने या पिकनिक के लिए यहां पहुंचे कई लोगों ने अपनी जान गवा चुकी है. यहां सबसे बड़ी दुर्घटना कारण बनता है पत्थरों पर फिसलन. पत्थरों की फिसलन आपको पानी की गहराईयों में भी ले जा सकती. मनोरम दृश्यों को देखते हुए भावनाओं के वशीभूत होकर कब खतरे के चक्र में फंस जाते हैं इसका पता ही नहीं चलता. इसलिए यहां पत्थरों पर चलते वक्त विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है और बरसात के दिनों में पानी के करीब जाने की सख्त मनाही रहती है.
FIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 15:26 IST