Tuesday, October 22, 2024
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लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलेगा : पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के बाद पूर्व डिप्टी पीएम को भी देश का सर्वोच्च सम्मान


Noida News : भारत सरकार ने पूर्व उप प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के फाउंडर मेंबर्स में शामिल लाल कृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषण की है। वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी को 96 साल की उम्र में भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। यह जानकारी पीएम मोदी ने शनिवार को सोशल मीडिया हैंडल से शेयर की है। बता दें कि आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 7वें उप-प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले 1998 से 2004 के बीच NDA सरकार में गृहमंत्री रहे।

पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर आडवाणी के साथ अपनी 2 तस्वीरें शेयर की और लिखा- मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। वे आगे लिखते हैं कि मैंने उनसे बात भी की और उन्हें यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी। देश के विकास के लिए उनका योगदान कोई भूल नहीं सकता। उन्होंने जमीनी स्तर से काम शुरू किया था और वे देश के उप-प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे।

यह सम्मान पाने वाले बने दूसरे भाजपा नेता
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद आडवाणी भाजपा के दूसरे नेता और 50वें शख्स हैं, जिन्हें भारत रत्न दिया जाएगा। इससे पहले 2015 में आडवाणी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। बता दें कि आडवाणी से पहले 23 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने का ऐलान किया जा चुका है। केंद्र सरकार एक साल में 3 लोगों को यह सम्मान दे सकती है।

जब राष्ट्रपति ने तोड़ा था प्रोटोकोल
2015 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न दिया गया था। तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी खुद उनके घर गए थे और उन्हें यह सम्मान दिया गया। वाजपेयी तब 90 साल के थे और अस्वस्थ थे। मुखर्जी ने प्रोटोकोल से हट कर पूर्व प्रधानमंत्री के कृष्ण मेनन मार्ग स्थित निवास पर जाकर उन्हें भारत रत्न दिया। वाजपेयी के अलावा इसी साल महामना मदन मोहन मालवीय को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया था। 2019 में प्रणब मुखर्जी को भी भारत रत्न से सम्मानित किया।

आडवाणी की रथयात्रा कमाल जो खिल उठा कमल
राम मंदिर आंदोलन के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने 63 साल की उम्र में गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी। 25 सितंबर 1990 से शुरू हुई इस यात्रा की कमान मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन से संभाली थी। यह आडवाणी की रथ यात्रा का ही कमाल था कि 1984 में महज दो सीट जीतने वाली भाजपा को 1991 में 120 सीटें मिली। इतना ही नहीं आडवाणी ने पूरे देश में एक हिन्दूवादी नेता के तौर पर पहचान बनाई। इसके अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार जैसे राज्यों में भाजपा को नई पहचान मिली। इस यात्रा के बाद आडवाणी पूरे देश में हिंदूवादी नेता के तौर पर स्थापित हुए थे, लेकिन वह अपनी यात्रा पूरी नहीं कर पाए थे। उन्हें बिहार के समस्तीपुर में 23 अक्टूबर 1990 को अरेस्ट कर लिया गया था।

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