Saturday, July 27, 2024
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इस स्कूल के गुरुजी का अनोखा अंदाज, खेल-खेल में बच्चों को पढ़ा रहे गणित

रामकुमार नायक, रायपुरः- शास्त्रों में कहा जाता है कि विद्या या ज्ञान वही है जो मुक्त करे. मुक्त यानि दुर्गुण (बुरे कर्म), दुर्व्यसन या दुर्विचार होता है. श्री विष्णु पुराण के इस श्लोक का भाव यही है कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो मनुष्य के अंदर और बाहर दोनों का विकास करे. जिस तरह किसी सरकार का शिक्षा विभाग पूरे देश या राज्य में आधुनिक विज्ञान सिखाने में मदद करता है, ठीक उसी तरह ईश्वर का वह अंग जो दुनिया को आध्यात्मिक विकास और शिक्षा की ओर ले जाता है, उसे शिक्षक कहते हैं. आज के आधुनिक युग में दुनिया ने जितनी भी तरक्की की है, सबके पीछे किसी न किसी गुरु का ही हाथ रहा है. विद्या या विषय कोई भी हो गुरु के बिना उसमें पारंगत होना मुश्किल है.

कठिन अंकों को पढ़ाने का सरल तरीका
ऐसे में छत्तीसगढ़ के एक शिक्षक ने बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का एक गजब का तरीका इजाद किया है. दरअसल दुर्ग जिले के खुर्सीपार भिलाई में स्थित एक सरकारी स्कूल इन दिनों चर्चा का केन्द्र बना हुआ है. इस स्कूल के एक शिक्षक ने गणित के कठिन अंकों को पढ़ाने का सरल तरीका खोज निकाला है. इस तरीके से मासूम स्कूली बच्चे न केवल मनोरंजक गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, बल्कि गणित के अंकों को आसानी से याद भी कर लेते हैं.

बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाते
खुर्सीपार भिलाई के इस प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक कामता साहू बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाते हैं. इस नवाचार को बच्चों के परिवारवाले भी पसंद करने लगे हैं. जैसे अंकों की पहचान के लिए वे जमीन पर चाक से डब्बा बनाते हैं और अंकों को लिख देते हैं. फिर बच्चों को पहाड़ा याद कराने के लिए वे स्वयं गाना गाते हैं और साथ ही बच्चों को भी गाने के लिए भी कहते हैं. इसके अलावा जसगीत के माध्यम से वे बच्चों को अंग्रेजी वर्णमाला भी सिखाने की कोशिश करते हैं. छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत में पिरोए सभी विषय को याद करना इस स्कूल के बच्चों के लिये बाएं हाथ का खेल हो गया है.

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कम मेहनत में ज्यादा सीख
शिक्षक कामता साहू ने बताया कि साल 2014 में उनकी जॉइनिंग हुई, तब स्कूल में दर्ज संख्या 650 थी. बड़ी संख्या में बच्चे होने की वजह से पहली कक्षा में ही 70 से अधिक बच्चे थे. ऐसे में शिक्षक पुरानी पद्धति से पढ़ाते थे और थक जाते थे. फिर अन्य गतिविधियों से जैसे गीत, कविता, खेल से बच्चों को पढ़ाने की ठानी और लिहाजा कम मेहनत में बच्चे ज्यादा सीख रहे हैं.क से कबूतर उड़ रहे थे, ख से खाना खा रहे थे, ग से गाना गा रहे थे, घ से घड़े में ताजा पानी, अं का घर है खाली बच्चों बजाओ ताली, कुछ ऐसे ही गीत के माध्यम से बहुत ही जबरदस्त तरीके से बच्चों को पढ़ाया जाता है.

वहीं गीत सुनाकर बच्चों को 1 से 10 तक संख्या का ज्ञान कराया जा रहा है. एक छोटी चिड़िया गई पेड़ पर सो, एक और आ गई हो गए दो, दो छोटी चिड़िया बजा रही थी बीन, एक और आ गई कहने से बच्चे तीन बोलते हैं, ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से बच्चों को बेहतर ढंग से पढ़ाया जा रहा है.

Tags: Chhattisgarh news, Education news, Local18, Raipur news

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