Thursday, March 13, 2025
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छत्तीसगढ़ के इस गांव में अनुठी परंपरा, होली पर वैद्यराज मिर्गी की देते हैं आयुर्वेदिक दवा, देशभर से आते हैं मरीज

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बिलासपुर जिला के मस्तूरी क्षेत्र स्थित रिस्दा गांव पिछले 40 वर्षो से एक अनूठी परंपरा निभा रहा है. यहां होली के दिन मिर्गी के मरीजों को आयुर्वेदिक दवा दी जाती है. देशभर से हजारों मरीज इस गांव में पहुंचते हैं. इस…और पढ़ें

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 बिलासपुर जिले के रिस्दा गांव में होली पर दी जाती है मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा.

हाइलाइट्स

  • रिस्दा गांव में होली पर मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा दी जाती है.
  • देशभर से हजारों मरीज रिस्दा गांव पहुंचते हैं.
  • यह परंपरा 40 साल से चली आ रही है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र में स्थित रिस्दा गांव हर साल होली के दिन एक अनोखी परंपरा निभाता है. यहां पिछले 40 वर्षों से मिर्गी के मरीजों को आयुर्वेदिक दवा दी जा रही है. खास बात यह है कि यह दवा केवल होली के दिन ही उपलब्ध होती है, जिसे लेने के लिए देशभर से हजारों मरीज इस गांव में पहुंचते हैं. यह परंपरा एक परिवार द्वारा निभाई जा रही है, जिसमें पीढ़ियों से मरीजों को मुफ्त में दवा दी जाती है.

रिस्दा गांव में होली के दिन आयुर्वेदिक दवा देने की शुरुआत करीब 40 साल पहले वैद्यराज विश्वेश सिंह चंदेल के दादा जी ने की थी. उनकी मृत्यु के बाद यह ज़िम्मेदारी उनके बड़े पिताजी ने संभाली. अब वैद्यराज प्रदीप सिंह चंदेल इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.

3 साल तक करनी होती है दवा सेवन की प्रक्रिया

वैद्यराज प्रदीप सिंह चंदेल बताते हैं कि यह आयुर्वेदिक दवा पूरी तरह से प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनी होती है, जिसे होली के दिन विशेष पूजा-पाठ के बाद मरीजों को दिया जाता है. मिर्गी से राहत पाने के लिए मरीजों को लगातार तीन साल तक होली के दिन यह दवा लेनी होती है. यह दवा दिन में तीन बार दी जाती है और कई मरीजों ने इसे लेकर राहत मिलने का दावा किया है.

चिकित्सा पद्धति पर लोगों को है अटूट विश्वास

रिस्दा गांव में होली से हफ्तेभर पहले ही मरीज पहुंचने लगते हैं. बड़ी संख्या में लोगों के आने को देखते हुए वैद्यराज और उनके परिवार द्वारा मरीजों के रहने और खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की जाती है. यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क होती है और इसे सेवा व परंपरा के रूप में निभाया जाता है. हर साल देशभर से हजारों मरीज रिस्दा गांव पहुंचते हैं, जिनमें से कई मरीजों ने इस दवा से लाभ मिलने की बात कही है. वर्षों से इस चिकित्सा पद्धति पर लोगों का अटूट विश्वास बना हुआ है और यही कारण है कि यह अनोखी परंपरा आज भी जीवंत है.

अनूठी चिकित्सा परंपरा का केंद्र है यह गांव

छत्तीसगढ़ का यह छोटा सा गांव आयुर्वेदिक चिकित्सा और परंपरागत चिकित्सा पद्धति का अद्भुत उदाहरण है. जहां आधुनिक चिकित्सा के बीच आयुर्वेद पर भरोसा बनाए रखना अपने आप में खास बात है. यह परंपरा न सिर्फ मिर्गी से जूझ रहे मरीजों के लिए एक आशा की किरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आयुर्वेद आज भी कारगर और प्रभावी हो सकता है.

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छत्तीसगढ़ के इस गांव में अनुठी परंपरा, होली पर दी जाती है मिर्गी की दवा

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