Tricity Today | नोएडा के किसान नेता
Noida News : मोदी सरकार 3.0 के पहले आम बजट में कृषि के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये के आवंटन का ऐलान किया गया है। इसके साथ ही प्राकृतिक खेती को मजबूत करने का ऐलान किया गया है। विभिन्न संगठनों के किसान नेताओं का कहना है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि से यह बजट सही नहीं है। सरकार अगर किसानों को राहत देता चाहती थी तो पानी, बिजली और खाद मुफ्त करनी थी। आम बजट को लेकर गौतमबुद्ध नगर के भी विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने भी अपनी राय बताई है।
किसानों को नहीं कंपनियों को लाभ
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा का कहना है कि मंगलवार को मादी सरकार ने पहला आम बजट पेश किया है। यह बजट आय व्यय का एक ब्यौरा है इससे किसी वर्ग के कल्याण का अंदाज किया जाना मुश्किल है। बजट से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लघु सीमांत किसानों को प्रीमियम से मुक्त किए जाने,फसलों का लाभकारी मूल्य,सम्मान निधि में वृद्धि जैसे मुद्दों को छुआ नहीं है। प्राकृतिक खेती की बात बेमानी है इससे किसान को नहीं कंपनियों को लाभ हो रहा है।
बजट से किसान निराश
भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष मास्टर श्यौराज सिंह ने बताया कि
आज का भी बजट से पूर्व की भांति किसान मजदूर को निराशा ही हाथ लगी है। किसानों की आय दोगुनी करने जैसा कोई बजट नहीं है। बजट में किसानों की फसलों के वाजिब दाम कैसे मिले, खेती की लागत मूल्य कैसे कम हो और खाद-पानी समय पर उपलब्ध कैसे कराया जाए। इस पर भी कुछ नहीं है। फ्री बोरिंग जैसी व्यवस्था या ट्यूवैल कनेक्शन आदि की व्यवस्था, गांव देहात में शिक्षा और चिकित्सा में कैसे सुधार हो। फसलों पर छिड़काव की नकली दवाईयों पर कैसे रोक लगे। इन सबके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
आम बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं
भारतीय किसान यूनियन क्रांति के प्रदेश अध्यक्ष परविंदर यादव का कहना है कि मोदी सरकार के पहले आम बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं है। अगर किसानों को राहत देनी है तो उनके लिए पानी मुफ्त कर दीजिए। मुफ्त बिजली और सस्ती खाद दीजिए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा खेती के उपकरण भी सस्ते किए जाने चाहिए। अगर किसानों को सीधा लाभ देना है तो फसल की कीमत देनी होगी। इसके लिए प्रावधान करना होगा। सोलर, बिजली पर राहत देंगे तो फायदा होगा। अगर भूमिहीन किसान है तो वह भी खेती में आए, बजट में उसके लिए क्या किया गया है।
सातवीं बार आम बजट में किसानों की अनदेखी
भारतीय किसान संगठन एकता के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रमोद यादव का कहना है कि बजट में एमएसपी गारंटी कानून और कर्ज माफी के नाम पर कुछ नहीं मिला। इस बजट ने किसानों को निराश किया है। मोदी सरकार ने सातवीं बार आम बजट में किसानों की अनदेखी की है। किसानों को बजट का 3 फीसदी भी नहीं मिला। इस बजट में एमएसपी गारंटी कानून के लिए कोई हिस्सा नहीं है, न ही किसानों की कर्जमाफी का जिक्र है, मजदूरों को रोजगार देने के लिए कुछ नहीं है। कृषि को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।