पहले चुनाव में झाबुआ संसदीय सीट की स्थिति
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मध्य प्रदेश का झाबुआ ऐसा आदिवासी क्षेत्र है जहां से सभी राजनीतिक दलों के नेता चुनाव प्रचार अभियान का शुरुआत करते हैं। ये सिलसिला पहले आम चुनाव से चला आ रहा है। पहले राजीव-इंदिरा आते थे, अब पीएम मोदी आ रहे हैं।
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाबुआ में आमसभा को संबोधित किया था, वहीं कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने झाबुआ अंचल से सटे धार जिले के कुक्षी में सभा को संबोधित किया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी झाबुआ में कई बार आए थे। अब लोकसभा चुनाव 2024 के पहले पीएम मोदी फिर यहां से चुनाव प्रचार का आगाज करने वाले हैं। इस तरह से साफ जाहिर होता है कि आदिवासी वोट पर सभी दलों की निगाहें होती हैं।
देश में लोकसभा चुनाव 2024 की हलचल आरंभ हो गई है। अंतरिम बजट पेश किया जा चुका है, राजनैतिक सभाओं और यात्रा के दौर शुरू हो चुके हैं। मध्यभारत का आदिवासी बहुल जिला झाबुआ, जो देश के पहले चुनाव 1951 से ही लोकसभा क्षेत्र था और वह भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। मध्य भारत में कुल नौ लोकसभा सीटें थीं, उसमें से झाबुआ आदिवासी क्षेत्र की आरक्षित सीट थी।
झाबुआ में आजादी के पूर्व राजशाही रही और आजादी के बाद यह मध्य भारत का हिस्सा बना। आदिवासी बहुल क्षेत्र होने से यह क्षेत्र लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रहा है। वर्तमान में विधानसभा में जिले की पांचों सीटें आरक्षित हैं।