Wednesday, December 4, 2024
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BIG BREAKING : चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हाराव को भारत रत्न, पीएम का बड़ा ऐलान


New Delhi/Lucknow : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण की तरफ ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक और सामाजिक मायनों में यह बहुत बड़ा फ़ैसला है। आपको बता दें कि करीब 10 दिन पहले प्रधानमंत्री ने पिछड़ों के मसीहा कहे जाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया था। जिसके बाद बिहार में बड़ा राजनीतिक बदला हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर दिया था। अब ठीक ऐसे ही हालात उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बनने वाले हैं। मिली जानकारी के मुताबिक़ अगले 24 घंटों के दौरान राष्ट्रीय लोकदल और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन का ऐलान होने वाला है।

कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को तगड़ा झटका
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी एक के बाद एक मास्टरस्ट्रोक खेल रहे हैं। पहले बिहार के दिग्गज नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान हुआ। जिसके चलते बिहार की पूरी राजनीति का परिदृश्य बदल गया। अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने के लिए मिलेगा। आपको बता दें कि चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बनने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। उन्हें अब तक देश में सबसे बड़ा किसान नेता माना जाता है। चौधरी चरण सिंह की बदौलत उत्तर प्रदेश और देश के तमाम राज्यों में जमींदारी उन्मूलन क़ानून बना था। चौधरी चरण सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान खेतीबाड़ी, मंडी, कृषि उत्पादन मूल्य, गन्ना-चीनी, वन और किसानों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर बड़े बदलाव किए थे। अंग्रेज़ी ज़माने से चली आ रही प्रथाओं को तोड़ा था। ख़ास बात यह है कि चौधरी चरण सिंह ने अपना राजनीतिक सफ़र कांग्रेस के साथ शुरू किया था, लेकिन उन्हें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का घोर विरोधी माना जाता था। इसी वजह से चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस को अलविदा कहा था। चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री ज़रूर बने, लेकिन उन्हें कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ा था। जिसके चलते वह बमुश्किल 11 महीने पीएम की कुर्सी पर रह पाए थे। इस दौरान वह कभी लोकसभा नहीं जा सके थे।

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