रायपुर. छत्तीसगढ़ में पहली बार ट्रांसकैथेटर माइट्रल वॉल्व इंप्लांट वॉल्व-इन-वॉल्व प्रोसेस के जरिए किया गया है. इस सर्जरी के सफल होने से 70 साल की मरीज को अब नई जिंदगी मिली है. मरीज की छाती में बिना किसी चीरे के माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट किया गया है. यह रेयर सर्जरी कर दिखाई है डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में कॉर्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव और टीम ने. इस प्रक्रिया के साथ एसीआई पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में मरीज की छाती पर बिना किसी चीरे के माइट्रल वॉल्व रिप्लेसमेंट प्रक्रिया को पूरा करने वाला पहला और एकमात्र संस्थान बन गया. डॉ. स्मित श्रीवास्तव के मुताबिक माइट्रल वॉल्व को रोगी की जांघ की नसों के माध्यम से एंजियोप्लास्टी में हृदय की नसों में स्टेंट लगाने के समान प्रक्रिया द्वारा ट्रांसप्लांट किया गया. मरीज को 26 एमएम का माइट्रल वॉल्व लगाया गया है.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने इस उपलब्धि के लिए एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट की पूरी टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. मरीज गंभीर माइट्रल रेगर्गिटेशन (एमआर) से पीड़ित था, जो एक सामान्य हृदय रोग है जिसके लिए आम तौर पर ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता होती है.
मरीज को मिली नई जिंदगी
एसीआई में कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने कहा कि बुजुर्ग मरीज को 10 साल पहले दिल का दौरा और वॉल्व रोग के लिए कई ऑपरेशनों से गुजरना पड़ा था, जिसमें कोरोनरी बाईपास सर्जरी और माइट्रल वाल्व सर्जरी शामिल थी. रोगी की बढ़ती उम्र और कमजोर दिल के अलावा, वह जानलेवा गंभीर अस्थमा से भी पीड़ित थी, जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई और इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिक परप्यूरा (आईटीपी) नामक एक दुर्लभ ऑटोइम्युन रक्त विकार से पीड़ित थी. ऐसे जटिल रोगी में दोबारा ओपन हार्ट सर्जरी असंभव थी.
ऐसे किया गया प्रोसीजर
सबसे पहले मरीज को बेहोश किया गया उसके बाद दाहिने जांघ की नसों के रास्ते कैथेटर के माध्यम से एओर्टा तक पहुंचे. एओर्टा से बैलून को ले जाते हुए माइट्रल वाल्व के लिए जगह बनाई. उसके बाद बैलून एक्सपेंडेबल वॉल्व को पुराने वॉल्व की जगह पर ट्रांसप्लांट किया गया.
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FIRST PUBLISHED : February 8, 2024, 18:49 IST