Saturday, July 27, 2024
Homeमध्यप्रदेशSupreme Court: 'दुष्कर्म क्रूरतापूर्ण नहीं तब भी बर्बर'; दुष्कर्म के दोषी को...

Supreme Court: ‘दुष्कर्म क्रूरतापूर्ण नहीं तब भी बर्बर’; दुष्कर्म के दोषी को 30 साल कैद की सजा में बोली अदालत


सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : ANI

विस्तार


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही दुष्कर्म क्रूरतापूर्वक न किया गया हो, लेकिन यह बर्बर ही कहा जाएगा। इस टिप्पणी के साथ शीर्ष अदालत ने 2018 में मंदिर परिसर में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म के दोषी को 30 साल कैद की सजा सुनाई। जस्टिस सीटी रवि कुमार व जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि दोषी ने स्थान की पवित्रता की परवाह किए बिना बर्बर कृत्य किया, जो पीड़िता को जीवनभर परेशान कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया, दोषी भग्गी को सजा पूरी होने से पहले जेल से रिहा नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, शीर्ष अदालत ने दोषी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से दी गई मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। याचिकाकर्ता-दोषी ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने यह दर्ज किया है कि अपराध बर्बर और क्रूर नहीं था। चूंकि दोषी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं था, इसलिए सजा न्यूनतम जुर्माने के साथ 20 साल की कठोर कारावास होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, निवारक दंड की आवश्यकता है। दोषी ने वासना मिटाने के लिए बच्ची को मंदिर ले जाकर अपराध किया। दोषी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जो पीड़िता को मिलेगा।

ताउम्र परेशान करेगी बर्बरता

शीर्ष कोर्ट ने कहा, एक बार आईपीसी की धारा 376 एबी के तहत दोषसिद्धि बरकरार रहने के बाद निश्चित अवधि की सजा 20 साल कैद से कम नहीं हो सकती। ध्यान रखना चाहिए कि पीड़िता किसी भी मंदिर में जाएगी तो उसे बर्बर कृत्य की याद आएगी। यह घटना उसके भविष्य के विवाहित जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments