रायपुर: भविष्य में इतिहास की पहचान अतीत के दस्तावेज से होगी. छत्तीसगढ़ भी इस दौड़ में अन्य राज्यों की तरह आगे चल रहा है. दस्तावेज को संरक्षित करने का कार्य संस्कृति विभाग बीते पांच सालों से कर रहा है. अब तक साढ़े सात लाख से अधिक दस्तावेज को स्कैन कर सहेज लिया गया है. विभाग ने छत्तीसगढ़ के राजवंशों व रियासतों से मुगल शासन और राजपूताना के बीच हुए अहम समझौते के साथ पत्राचार, विनिमय से जुड़े ऐतिहासिक दस्तावेज को एकत्र करने देश के विभिन्न राज्यों की मदद ली है.1857 में शहीद वीर नारायण सिंह को रायपुर में फांसी दी गई.
1947 में रायपुर जयस्तंभ चौक पर पहला पत्थर रखा गया. वह दस्तावेज भी छत्तीसगढ़ पुरातत्व विभाग के पास उपलब्ध है.संस्कृति विभाग के उपसंचालक पुरातत्व अभिलेखागार डॉ पी सी पारख ने बताया कि हमने 117 साल पुराने अर्थात सन 1847 के दौरान रियासतों के अभिलेख को विशेषज्ञों द्वारा संग्रहित किया है.
यह प्राचीन धरोहर में से एक है
मुगल साम्राज्य की कहानियां अक्सर लोग किताबों में पढ़ते हैं, लेकिन एक समय में उनका संबंध भी छत्तीसगढ़ के राजवंशों से जुड़ा हुआ था, जिसका प्रमाण स्कैन किए दस्तावेज बताते हैं. पुरातत्व विशेषज्ञों के मुताबिक, मध्यप्रदेश से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कोसल की राजधानी राजा से जुड़े अभिलेखक को एकत्रित किया गया है. यह प्राचीन धरोहर में से एक है.
14 रियासतें समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं
डॉ पी सी पारख ने आगे बताया कि भोपाल में छत्तीसगढ़ से संबंधित पुरातत्व के दस्तावेज वर्षों से डंप पड़ी थी. राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि छत्तीसगढ़ से संबंधित दस्तावेजों का डिजिटाइजेशन करके सॉफ्ट कॉपी लाया जाए. ताकि सामान्य जनता के लिए वेब पोर्टल के माध्यम से प्रदर्शित किया जाए. वह काम अभी चल रहा है. अभी तक साढ़े सात लाख दस्तावेज स्कैन करके सॉफ्ट कॉपी में कार्यालय में आ गए हैं.
उसी के आधार में पिछले दो तीन साल से प्रदर्शनी लगा रहे हैं. जिसमें मुख्य रूप से रायपुर नगर निगम की स्थापना कब हुई, गुढ़ियारी कब नगर निगम में शामिल हुआ. छत्तीसगढ़ की 14 रियासतें समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. अगर सारे डॉक्यूमेंट आ जाएंगे तो छत्तीसगढ़ की हिस्ट्री के बारे में जानने बहुत ज्यादा मदद मिलेगी.
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FIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 15:10 IST