अनूप पासवान/ कोरबा:- जिले में रेंगते जानवरों के कारण मौत का खतरा बढ़ गया है. जहरीले सांप या जीव-जंतु के काटने से गंभीर मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. इनमें से कई ऐसे भी होते हैं, जिनकी जान अंधविश्वास के कारण आफत में होती है. ऐसा ही एक वाकिया सामने आया है, जिसमें आधी रात के बाद नाना और नाती की तबीयत बिगड़ गई. उनके पेट व गले में तेज दर्द के साथ मुंह से झाग निकलने लगा. उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाने के बजाय परिजन झाड़-फूंक व गांव के डॉक्टर से इलाज कराने का प्रयास करते रहे. जब तक वे पीड़ितों को अस्पताल लेकर पहुंचे, तब तक देर हो चुकी थी. डॉक्टरों ने बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया.
ऐसे हुआ पूरा हादसा
करतला थानांतर्गत ग्राम सलिहाभांठा डोंगदरहा में टिकैतराम यादव 70 वर्ष अपनी पत्नी के साथ निवास करता था. उसके घर करीब एक माह पहले बालको के भद्रापारा में रहने वाला 16 वर्षीय नाती सतीश कुमार यादव मेहमानी में आया हुआ था. प्रतिदिन की तरह बुजुर्ग दंपत्ती ने नाती के साथ बैठकर भोजन किया, इसके बाद अपने कमरे में जाकर सो गए. रात करीब तीन बजे अचानक बुजुर्ग के पेट में दर्द होने लगा, जिससे उसकी नींद खुल गई. थोड़ी देर बाद सतीश ने भी पेट में दर्द होने की जानकारी दी. पहले तो वे पेट दर्द को मामूली समझ नजर अंदाज करते रहे, लेकिन देखते ही देखते असहाय पीड़ा होने लगा.
पेट के साथ साथ गले में भी दर्द शुरू हो गया, जिसकी जानकारी बुजुर्ग महिला ने पास में ही रहने वाले परिजनों को दी. वे खबर मिलते ही घर पहुंचे, तो सतीश के मुंह से झाग निकल रहा था. उन्हें तत्काल उपचार के लिए अस्पताल ले जाने के बजाय परिजन झाड़-फूंक और गांव के डॉक्टर से इलाज कराने का प्रयास करते रहे. डॉक्टर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए अस्पताल ले जाने की सलाह दी, तब कहीं जाकर परिजन सुबह करीब 6.30 बजे दोनों को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने परीक्षण उपरांत बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया, जबकि किशोर की हालत गंभीर है. उसे आईसीयू में रखकर उपचार किया जा रहा है.
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अंधविश्वास के चक्कर में जाती है जान
कोरबा जिला जंगलो से घिरा हुआ है और यही वजह है कि यहां रेंगने वाले अलग-अलग प्रजाति के विषैले जीव-जंतु पाए जाते हैं. बरसात शुरू होते ही वे अपने बिलों से निकलकर नया ठिकाना ढूंढते हुए लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं. इसी दौरान सांप कांटने के ज्यादा मामले सामने आते हैं. बीते वर्ष 2023 में जनवरी माह से लेकर दिसंबर माह तक जिले मे 820 लोग सर्पदंश का शिकार हुए थे.अधिकतर मामलों में देखा गया है ग्रामीण क्षेत्रों में सर्पदंस के बाद लोग झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं और अस्पताल पहुंचने में देरी कर देते हैं, जिससे पीड़ित की जान नहीं बचाई जा सकती.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 17:45 IST