महासमुंद. तोरई की खेती करने वाले किसानों के लिए यह खबर बेहद ख़ास है. तोरई एक नगदी फसल के रूप में जानी जाती है. इसके पौधे बेल एवं लता के रूप में बढ़ते हैं, इस वजह से इसको लतादार सब्जियों की श्रेणी में रखा गया है. तोरई को विभिन्न –विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. जैसे तोरी, झिंग्गी और तुरई आदि. इसके पौधों में निकलने वाले फूल पीले रंग के होते है. इसमें फूल नर और मादा रूप में निकलते हैं, जिनके निकलने का समय भी अलग-अलग होता है,बारिश का मौसम तोरई की खेती के लिए सर्वोत्तम माना जाता है,
तोरई की खेती के लिए उपयुक्त भूमि की तैयारी
1. खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई कर लें
2. खेतों को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ दें, ताकि उसको अच्छे से धूप लग सके.
3. इसके बाद खेत में 15 से 20 टन गोबर की पुरानी खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल कर खेत की हल्की जुताई करें ऐसा करने से मृदा में खाद अच्छी तरह से मिल जाता है. इसके बाद खेत में रोटावेटर लगा कर मृदा को भुरभुरा कर लें.
4. इसके बाद आखरी जुताई के समय मिट्टी में एन.पी.के. की 25: 35:30 किलो ग्राम मात्रा को छिटकवा विधि से खेत में डालें.इसके बाद पाटा लगाकर मृदा को समतल कर दें.
5. अब खेत में 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30 सेमी x 30 सेमी x 30 सेमी आकार के गड्ढे खोदें और बेसिन बनाएं तथा तथा बीजों को लगाएं.
तोरई की खेती के लिए उपयुक्त बुवाई का समय:
जैसा कि यह गर्म और बरसात दोनों मौसम की फसल है, इसलिए इसकी की बुवाई का समय अलग-अलग होता है. ग्रीष्मकालीन फसल की बुवाई का समय जनवरी एवं बरसात के मौसम की फसल के लिए जुलाई माह उचित होता है.
तोरई फसल का उपयुक्त तुड़ाई समय
तोरई की उन्नत किस्मो को बीज रोपाई के बाद कटाई के लिए तैयार होने में 70 से 80 दिन का समय लग जाता है. इसके फलो की तुड़ाई कच्ची अवस्था में की जाती है, जिसका इस्तेमाल सब्जी के रूप में करते है, यदि आप बीज के रूप में फसल प्राप्त करना चाहते है, तो उसके लिए आपको फल के पकने तक इंतजार करना होता है.
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FIRST PUBLISHED : July 29, 2024, 14:08 IST