केशव कुमार/छत्तीसगढ़: पैसे कमाने के आज बहुत सारे ऑप्शन मौजूद हैं. अब आप महासमुंद जिले के महालक्ष्मी आदिवासी महिला स्व सहायता समूह को ही देख लिजिए. वो बांस से अलग-अलग तरह के घरेलू और सजावटी चीजें तैयार कर रहे हैं. बांस के प्रति यहां के लोगों की रुचि और उसके बेहतर उपयोग के कारण स्थानीय निवासी महिलाओं को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्रामोद्योग हस्तशिल्प से बांस शिल्प के साथ ही काष्ठ कला का भी प्रशिक्षण दिया गया है.
बांस के सामान से कमा रही हैं महिलाएं
कमार जाति की महिलाएं बांस का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की बांस की सामग्री, गुलदस्ते, सूपा,टोकरी आदि बनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर रही हैं. जिले में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की पहल पर कौशल उन्नयन के स्वरोजगारोन्मुख कार्यक्रम चलाए जा रहे है.
महासमुंद मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाको के स्थानीय निवासियों एवं आदिवासी महिलाओं को बांस कला के साथ-साथ महिलाओं की अभिरुचि और स्थानीय बाजार मांग के अनुसार अन्य कला में प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाया जा रहा है.
अलग-अलग चीजें करती हैं तैयार
महिलाओं को बांस के द्वारा बनाई जाने वाली विभिन्न सामग्रियों का प्रशिक्षण देकर लाभान्वित किया गया जा रहा है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रमों में खासकर आदिवासी महिलाओं की विशेष तौर पर भागीदारी रही. महिलाएं सामान को स्थानीय बाजार, हॉट-बाजारों में बेच कर अपनी आय बढ़ा रही हैं. इनके द्वारा बनाई जाने वाली बॉस की सामग्रियों को अशासकीय संस्थाओं द्वारा भी क्रय किया जाएगा. प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सूप, टोकरी, कंधे पर ढोई जाने वाली बहगी, मछली फंसाने वाले जाल के साथ ही घरेलू सजावट की वस्तुएं फूलदान, हैंडबैग बनाने सिखाए जाते हैं.
FIRST PUBLISHED : July 29, 2024, 15:16 IST