Friday, March 14, 2025
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गजब है यहां की परंपरा! कीचड़ में लोटकर भाई करते बारातियों का स्वागत, दूल्हा-दुल्हन निकालते हैं जानवर की आवाज

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भारत विभिन्न धर्म, जाति और समुदाय के लोगों का देश है. यहां थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मान्यताएं और परंपराए बदल जाती हैं. देश में कई तरह के कल्चर देखने को मिलते हैं. इसमें से कई बड़ी बेहतर तो कई बड़ी अजब-गजब होती है.

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अनोखा शादी 

हाइलाइट्स

  • छत्तीसगढ़ के सरगुजा में कीचड़ में लोटकर बारातियों का स्वागत होता है.
  • मांझी जनजाति के लोग कीचड़ में नहाकर नाचते-गाते बारातियों का स्वागत करते हैं.
  • दूल्हा-दुल्हन से जानवरों की आवाज निकलवाई जाती है.

अम्बिकापुर:- छत्तीसगढ़ का सरगुजा आदिवासी बाहुल्य इलाका है. ऐसे में लोग यहां आज भी पुरानी परंपराओं को संजोकर रखे हैं. आपने बारातियों के स्वागत के कई तरीके देखे और सुने होंगे. शादियों में लोग अपनी हैसियत के अनुसार, पैसे खर्च कर आयोजन का सबसे बेस्ट पार्ट इसी को बनाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जगह है, जहां लड़की के भाई कीचड़ में लेटकर बारातियों का स्वागत करते हैं. आइए जानते हैं कि कौन सी है वो जगह और क्या है इस सामाज की परंपरा.

भारत विभिन्न धर्म, जाति और समुदाय के लोगों का देश है. यहां थोड़ी-थोड़ी दूरी पर मान्यताएं और परंपराए बदल जाती हैं. देश में कई तरह के कल्चर देखने को मिलते हैं. इसमें से कई बड़ी बेहतर तो कई बड़ी अजब-गजब होती है. ऐसी ही एक परंपरा निभाई जाती है छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में, जहां बारातियों का स्वागत लोग सज-धजकर नहीं, बल्कि कीचड़ में लेटकर करते हैं.

कीचड़ में लोटकर करते हैं स्वागत
ये परंपरा सरगुजा के मैनपाट क्षेत्र में निभाई जाती है. मांझी जनजाति के लोग बारातियों का स्वागत कीचड़ में लोटकर करते हैं. लड़की के भाई बारात का स्वागत करने के बाद कीचड़ में नहाकर नाचते गाते घर पहुंचते हैं. इसके बाद दूल्हे को हल्दी तेल लगाकर विवाह के मंडप में आने का आमंत्रण देते हैं. इसकी तैयारी काफी पहले से शुरू हो जाती है. इतना ही नहीं, यहां दूल्हा और दुल्हन से जानवरों की आवाज भी निकलवाई जाती है.

मांझी-मझवार जनजाति के लोग अपने गोत्र का नाम पशु, पक्षियों के नाम पर रखते हैं. इसमें भैंस, मछली, नाग और अन्य प्रचलित जानवर होते हैं. ये अपने तीज त्यौहारों और उत्सवों में उन्हीं का प्रतिरूप बनते हैं और आयोजन का आनंद उठाते हैं. इससे इनका उद्देश्य अपने गोत्र के नाम को आगे लेकर जाना है.

अलग-अलग जानवरों की आवाज निकालने की परंपरा
मांझी जनजाति में लड़की वाले जिस गोत्र से आते हैं. उसी गोत्र के अनुसार अपने बारातियों का स्वागत करते हैं, जैसे जो नाग गोत्र से आता है, वो नाग की तरह प्रतिक्रिया करता है. मतलब जिसका गोत्र जिस भी जानवर या पक्षी के नाम पर होता है, वो अपने बारातियों का स्वागत उसी तरह करता है. सरगुजा से सामने आए इस वीडियो में भैंस गोत्र के परिवार में लड़की बारात आई है, जहां लड़के के भाई कीचड़ में लोटकर बरातियों का स्वागत कर रहे हैं.

भैंस के समान बनाते हैं पूंछ
लड़की वाले बारात के स्वागत के लिए बकायदा एक ट्राली मिट्टी मंगाते हैं. उसी बारात के रास्ते में पलटकर कीचड़ में तब्दील करते हैं. उसके बाद लड़की के परिवार में जितने भी भाई होते हैं, वो भैंस के समान जैसे पूंछ बनाकर कीचड़ से लथपथ हो जाते हैं. उसके बाद जनवासे में रूके बारात के पास जाते हैं. गाजे-बाजे के साथ बारातियों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन कर दूल्हे को तेल हल्दी लगाते हुए मंडप की ओर ले जाते हैं. मांझी जनजाति के लोगों ने लोकल 18 की टीम को बताया कि आज भैंसा गोत्र में शादी का महाभारत काल से चली आ रही परंपरा है, जिसमें दूल्हे और बरातियों का स्वागत कीचड़ में नाचते हुए किया जाता है.

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