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जयमन एक्का ने छत्तीसगढ़ के सुशासन तिहार में 60 सामाजिक मुद्दों पर आवेदन देकर एक मिसाल पेश की. उनके आवेदन शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, पर्यावरण व आदिवासी अधिकारों से जुड़े हैं, जो पूरे प्रदेश के हित को ध्यान में रखते…और पढ़ें
सुशासन तिहार
अंबिकापुर- आज के दौर में जब अधिकांश लोग अपने निजी हितों में व्यस्त रहते हैं और सामाजिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं, वहीं जयमन एक्का नाम के एक सामान्य नागरिक ने पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक असाधारण मिसाल पेश की है. उन्होंने ‘सुशासन तिहार’ के दौरान 60 सामाजिक मांगों को लेकर आवेदन प्रस्तुत किए, वो भी अपने किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि आम जनता के हित में.
सुशासन तिहार का उद्देश्य और पहल
8 से 11 अप्रैल तक छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘सुशासन तिहार’ के तहत पंचायत स्तर पर जनता की समस्याएं और सुझाव एकत्र किए. इस पहल का उद्देश्य शासन को अधिक उत्तरदायी और पारदर्शी बनाना है.
किस-किस क्षेत्र को ध्यान में रखा गया
जयमन एक्का के आवेदन केवल उनके गांव तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने अपने क्षेत्र सीतापुर, मैनपाट, चैनपुर सहित समूचे छत्तीसगढ़ के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, पर्यावरण, कृषि, प्रशासन और आदिवासी अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान खींचा.
प्रमुख मांगें जिन पर सरकार का ध्यान जरूरी
- सीतापुर में लॉ कॉलेज, कन्या महाविद्यालय और कृषि मंडी की स्थापना
- मैनपाट में मनोचिकित्सालय और प्राणी उद्यान
- चैनपुर के स्कूलों का मॉडल स्कूल में रूपांतरण
- हर पंचायत में इंग्लिश मीडियम स्कूल और खेल मैदान
- गंभीर रोगियों को पेंशन और आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम न्यायालय की स्थापना
- हसदेव जंगल की कटाई पर रोक
एक व्यक्ति, 60 मांगें
जयमन एक्का अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने पूरे प्रदेश में इतनी संख्या में सामाजिक हितों के आवेदन प्रस्तुत किए हैं. यह न केवल उनकी जागरूकता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आम नागरिक भी बदलाव ला सकते हैं यदि वे सच में समाज के लिए कुछ करना चाहते हों.
क्या कहती है यह पहल?
जयमन एक्का की यह पहल एक प्रेरणा है न सिर्फ आम जनता के लिए, बल्कि सरकार के लिए भी. यह बताती है कि आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो स्वार्थ नहीं, सार्वजनिक सेवा को प्राथमिकता देते हैं.