Thursday, April 17, 2025
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Sagar News: ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के शोध में उपलब्धि, सागर विश्वविद्यालय फार्मेसी विभाग को मिला भारतीय पेटेंट

डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के फार्मेसी विभाग की शोधार्थी एवं वर्तमान में राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा अनुसंधान संस्थान अहमदाबाद में रिसार्ज एसोसिएट डॉ. साक्षी ने कैंसर में उपचार में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। इनके शोध कार्य लिपोसोम कम्पोजिशन एडं मैथ्ड फॉर टारगेटिंक ड्रग डिलेवरी को हाल ही में भारतीय पेंटंट प्राप्त हुआ है। 

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यह नवाचार स्तन कैंसर के इलाज के लिय दवा को लक्षित ढंग से पहुंचाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इस शोध का उद्देश्य कैंसर की दवाओं को सीधे टयूमर कोशिकाओं तक पहुंचाकर स्वास्थ कोशिकाओं को नुकसान से बचाना है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक कीमोथैरेपी में शरीर की सामान्य कोशिकाएं भी प्रभावित होती हैं, जिससे कई दुष्प्रभाव उत्पन्न होते हैं लेकिन यह नई तकनीकि लक्षित वितरण प्रणाली के माध्यम से सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर प्रभाव डालती है। इससे उपचार अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनता है।

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पांरपरिक कीमोथैरेपी के मुकाबले काफी सुरक्षित और किफायती भी है। इसमें डॉक्सोरूबिसिन नामक एंटी कैंसर ड्रग को पॉलथिलीन ग्लाइकोल से लेपित लिपोसोम (पिगायेलेडिट लिपोसोम) के माध्यम से शरीर में ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं तक सीधे पहुंचाया गया। इस लिपोसोम को 4 नामक सेल पेनेट्रेटिंग पेप्टाईड से जोड़ा गया, जिसमें यह खासतौर पर कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन तक ही दवा पहुंचाता है। इस तकनीकि से सामान्य स्वस्थ कोशिकाओं प्रभावित नहीं होतीं, जिससे कीमोथैरेपी की वजह से होने वाले बाल झड़ना, उल्टी, कमजोरी जैस साइड इफेक्टस बेहद कम हो जाते हैं।

इस प्रणाली की इन विट्रो (प्रयोगशाला) और इन वाइवो (जानवरों पर) टेस्टिंग में इसे बेहद कारगर और सुरक्षित पाया गया है। यह कैंसर कोशिकाओं की मृत्यु कर उनके डीएनए को क्षति पहुंचाता है और टयूमर साइट पर लंबे समय तक बना रहता है। जिससे ड्रग की बार-बार जरूरत नहीं पड़ती। इस तकनीकि से क्लिनिकल परीक्षण और उद्योग में स्थानांतरण के लिए भी कार्य किया जा रहा है। जिससे यह नवाचार प्रयोगशाला से निकलकर आम जनमानस के जीवन को बेहतर बना सके।

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इस शोध कार्य के लिए डॉ. साक्षी को हाल ही विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा आयोजित 40वीं युवा वैज्ञानिक कांग्रेस में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार और नगद राशि से सम्मानित किया गया है। यह उपलब्धि उनके शोध की वैज्ञानिक गुणवत्ता और सामाजिक महत्व को दर्शाती है। डॉ. साक्षी सोनी ने इस सफलता का श्रेय अपने मार्गदर्शक प्रो. वंदना सोनी और प्रो. सुशील कुमार काशव के साथ साथ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता एवं अपने विभाग से सभी शिक्षकों और माता-पिता कांता सोनी और कृष्णा सोनी को दिया।

भारतीय पेटेंट

 

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