मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिपरिया (जिला होशंगाबाद) में विश्वविद्यालयीन उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में अनियमितताओं के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए दो प्राध्यापकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इस मामले में सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर की गई जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार अतिथि विद्वान (हिंदी) खुशबू पगारे ने अपनी स्वास्थ्यगत समस्याओं का हवाला देकर मूल्यांकन का कार्य गैरशैक्षणिक कर्मियों से कराना स्वीकार किया है। उन्होंने इस कार्य के लिए बुकलिफ्टर राकेश कुमार मेहर को 7000 रुपये का भुगतान किया, जिसमें से 5000 रुपये प्रयोगशाला के चपरासी पन्नालाल पठारिया को दिए गए, जिसने वास्तविक मूल्यांकन किया। पठारिया ने स्वयं यह स्वीकार किया कि उसे उत्तरपुस्तिकाएं राकेश कुमार मेहर से प्राप्त हुई थीं और उसने मूल्यांकन का कार्य किया।
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जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई
जांच रिपोर्ट के आधार पर इस अनियमितता के लिए महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार वर्मा (प्राध्यापक, वाणिज्य) तथा मूल्यांकन नोडल अधिकारी डॉ. रामगुलाम पटेल (प्राध्यापक, राजनीति शास्त्र) को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए, मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। निलंबन अवधि के दौरान दोनों अधिकारियों का मुख्यालय क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा, नर्मदापुरम संभाग, भोपाल में निर्धारित किया गया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि दोषियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
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