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पहले गांव में बेर को कोई खास महत्व नहीं देता था. लेकिन आज यही बेर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है. किसान अपने बागों से बेर लाते हैं, जिसे 10 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जाता है.
स्पेशल बेर मुरब्बा
हाइलाइट्स
- बेर मुरब्बा गुड़, काली मिर्च और काले नमक से तैयार होता है.
- 100 ग्राम का मुरब्बा 10 रुपए में उपलब्ध है.
- बेर मुरब्बा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है.
रायपुर:- छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचल से एक बार फिर परंपरागत स्वाद और देसी नुस्खों की खुशबू देशभर में फैल रही है. किसान रामफल पटेल और उनके साथ काम कर रहे लगभग 700 किसान और 11 स्वं सहायता समूह की महिलाएं इस देसी स्वाद को नया रूप दे रहे हैं. ये महिलाएं बेर जैसे उपेक्षित फल से स्वादिष्ट और सेहतमंद ‘स्पेशल बेर मुरब्बा’ तैयार कर रही है, जिसकी मांग अब बाजारों में तेजी से बढ़ रही है.
किसान रामफल पटेल लोकल 18 को बताते हैं कि पहले गांव में बेर को कोई खास महत्व नहीं देता था. लेकिन आज यही बेर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहा है. किसान अपने बागों से बेर लाते हैं, जिसे 10 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदा जाता है. पिछली साल करीब 15 क्विंटल बेर खरीदे गए थे. इससे बेर मुरब्बा, बेर कुट, और चटपटा बेर बिस्किट जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रियता बेर मुरब्बा को मिली है.
स्वादिष्ट और सेहतमंद
100 ग्राम का यह मुरब्बा सिर्फ 10 रुपए में उपलब्ध है. लेकिन इसकी गुणवत्ता और स्वाद किसी महंगे प्रोडक्ट से कम नहीं है. इसे गुड़, काली मिर्च और काले नमक से तैयार किया जाता है. सही समय, सही मात्रा और सटीक विधि से बनाया गया मुरब्बा बेहद स्वादिष्ट और सेहतमंद होता है. ये वही पारंपरिक तरीका है, जो कभी हमारे दादा-दादी और नाना-नानी अपनाते थे. आज यह स्वाद फिर से लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है.
यह है रेसिपी
बेर मुरब्बा की खासियत इसकी शुद्धता और पारंपरिक विधि में छिपी है. सबसे पहले बेर की छंटाई की जाती है, खराब बेर हटा दिए जाते हैं. फिर बेर को अच्छी तरह धोकर उबाला जाता है. इसके बाद तय मात्रा में गुड़, काला नमक और काली मिर्च मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है. मुरब्बा को पैकेट में बंद कर दिया जाता है, जो बिना खोले डेढ़ माह तक और खुलने के बाद 15 दिन तक सुरक्षित रहता है.
तुरंत हो जाती है बिक्री
किसान रामफल पटेल Local 18 को बताते हैं कि इस पहल से न केवल महिलाओं को काम मिला है, बल्कि किसानों को भी अपनी उपज का बेहतर दाम मिलने लगा है. बेर मुरब्बा अब स्थानीय मेले, हाट बाजार और प्रदर्शनी में हाथोंहाथ बिक जाता है. इससे ग्रामीण समुदाय को आर्थिक रूप से मजबूती मिल रही है. रामफल पटेल और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया है कि देसी उत्पादों में भी बड़े ब्रांड बनने की ताकत होती है.