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Elephant Terror: सरगुजा जिले में हाथियों का आतंक बढ़ता जा रहा है. ग्रामीण रातभर जागकर फसलों और घरों की रक्षा कर रहे हैं. वन विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गई है.
हाथियों का आतंक
हाइलाइट्स
- सरगुजा में बढ़ता जा रहा है हाथियों का आतंक
- रातभर जागकर फसलों और घरों की रक्षा कर रहे हैं ग्रामीण
- वन विभाग की ओर से नहीं की गई है कोई ठोस पहल
सरगुजा. छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में इन दिनों सरगुजा के रिहायशी इलाका उदयपुर और मैनपाट जैसे ग्रामीण इलाकों में हाथी एक समस्या बनी हुई है. इससे निपटने के लिए कोई ठोस पहल अब वन विभाग के द्वारा नहीं निकाला जा सका है और लगातार अलग-अलग हाथियों का झुंड उत्पात मचाकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. अनाजों को चट कर रहा है. जिससे कि लोग अब रतजगा करने को मजबूर हैं. आइए जानते हैं कि इन इलाकों में लोग कैसे जीवन यापन करते हैं.
रातभर जग कर निगरानी कर रहे ग्रामीण
दरअसल, सरगुजा के अलग-अलग रिहायशी इलाकों में हाथियों का दल अड्डा बनाए हुआ है, ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं. हाथियों के आतंक से उदयपुर और मैनपाट का रिहायशी इलाका थर्रा सा गया है, यहां हर रोज हाथी लोगों के घरों को तोड़ रहे हैं.
अपनी सुरक्षा के लिए ये मचान का बंदोबस्त
ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग शाम ढ़लते ही अनाजों को पेड़ पर बांधकर घर से बाहर निकल जाते हैं, अपनी सुरक्षा के लिए ये मचान बना कर रहते हैं. इस बीच जंगली हाथियों का झुंड गांव पहुंचता है तो क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है, लोग एक दूसरे परिवार को नजदीक जाने से रोकते और रात भर रतजगा कर अपने घर और जमीन की रखवाली करते हैं.
जान जोखिम में डालकर मचान पर जीवनयापन
मचान में बैठकर लोकल 18 ने हाथी प्रभावित इलाके का जयाजा लिया, लोगों ने बताया कि शाम ढलते ही लोग खाने-पीने का समान लेकर मचान पर चढ़ जाते हैं और ऊपर टार्च के जरिए इलाके को देखते हैं और रातभर पहरा देते हैं, लेकिन ये जो मचान है लोग स्वयं की सुरक्षा के खुद से घास-फूस से तैयार किए हैं और पूरी रात यहां लोग समय व्यतीत करते हैं लेकिन जिस तरह एक लकड़ी का सीढ़ी बनाए हैं इससे ख़तरा भी हो सकता है.
काम के नाम पर केवल खानापूर्ति करती है वन विभाग की टीम
इसके वावजूद लोग जान जोखिम में डालकर सीढ़ी से उतरते हैं, बच्चे बुजुर्ग महिला सभी इस मचान पर रात में रहते हैं और खाने-पीने का समान पेड़ पर लटकाकर ऊपर जाते हैं. वहीं वन विभाग कि टीम केवल निगरानी के लिए यहां एक बार सूचना देने आती है. इसके बाद नदारत रहती है यही वजह है कि सरगुजा जिले में हाथी एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है. बरसात के दिनों में तो ख़ासा मुसीबतें झेलना पड़ती है, वहीं गर्मी के दिनों में हाथियों का डर-भय रहता है लेकिन मचान पर रात बिताना उतना कठिन नहीं होता है.