Wednesday, April 9, 2025
Homeछत्तीसगढ़पढ़ाई के साथ मधुमक्खी पालन! इस यूनिवर्सिटी में छात्र सीख रहे व्यवसायिक...

पढ़ाई के साथ मधुमक्खी पालन! इस यूनिवर्सिटी में छात्र सीख रहे व्यवसायिक गुर, NBB से ले सकते हैं आर्थिक मदद

बिलासपुर:  छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र अब पढ़ाई के साथ-साथ मधुमक्खी पालन के माध्यम से व्यावसायिक दक्षता और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. यहां के ग्रामीण प्रौद्योगिकी एवं सामाजिक विकास विभाग में मधुमक्खी पालन को लेकर सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.

प्रशिक्षण की मदद से छात्र न केवल मधु और मोम का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि इससे होने वाले बहुआयामी लाभों को भी समझ रहे हैं. इस पहल को विश्वविद्यालय में स्वावलंबी छत्तीसगढ़ योजना के तहत संचालित किया जा रहा है.

700 रूपए किलो तक बिकती है शहद

मधुमक्खी पालन एक महत्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग है, जो न केवल शहद और मोम का उत्पादन करता है, बल्कि फसलों के परागण में सहायक बनकर उनकी उत्पादकता भी बढ़ाता है. छात्र इसे सीखकर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं. एक छात्र ने बताया कि एक साल में 30 से 50 किलो तक शहद का उत्पादन किया जा सकता है, जिसकी कीमत बाज़ार में 500 से 700 रुपये प्रति किलो होती है. इसके अतिरिक्त वैक्स (मोम) का उपयोग कॉस्मेटिक उत्पादों जैसे शैम्पू आदि में होता है, जिससे और अधिक कमाई की जा सकती है.

शहद के अलावा बना सकते हैं कई प्रोडक्ट

छात्रों द्वारा शहद के अलावा रॉयल जैली, बी वैक्स और मधुमक्खियों से प्राप्त प्रोटीन का भी उत्पादन किया जा रहा है, जिसकी बाजार में भारी मांग है. रॉयल जैली की कीमत काफी अधिक होती है और यह औषधीय दृष्टिकोण से भी बेहद उपयोगी है. इसके साथ ही, इन उत्पादों का उपयोग फार्मा और फूड इंडस्ट्री में भी हो रहा है. ग्रामीण प्रौद्योगिकी एवं सामाजिक विकास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दिलीप कुमार के नेतृत्व में छात्रों को मधुमक्खी पालन का थ्योरिटिकल और प्रैक्टिकल ज्ञान दोनों दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों के लिए कॉलोनी बॉक्स बसाई है और उनके जीवन चक्र के विभिन्न चरणों की जानकारी छात्रों को दी जा रही है.

चुनौतियों से निपटना भी सीख रहे छात्र

डॉ. दिलीप ने आगे बताया कि इस प्रक्रिया में कई चुनौतिया भी आती है. जिसमें मुख्य रूप से मधुमक्खियों का जहरीले कीटनाशकों के संपर्क में आना, चीटियां या अन्य कीटों से खतरा, और बदलते मौसम की स्थिति शामिल है. परंतु, छात्रों को इन चुनौतियों से निपटना भी सिखाया जा रहा है ताकि वे भविष्य में सफल उद्यमी बन सकें.

मधुमक्खी पालन के लिए कुछ जरूरी बातें

उपयुक्त समय- वसंत ऋतु में मधुमक्खी पालन शुरू करना सबसे अच्छा समय होता है.

स्थान का चयन- छत्तों को बगीचों या फूलों के खेतों के पास रखना चाहिए.

सूर्य का प्रकाश- मधुमक्खियों को सूरज की किरणें मिलनी चाहिए जिससे वे सक्रिय बनी रहें.

छत्ते की ऊंचाई- छत्तों को ज़मीन से ऊपर रखना चाहिए ताकि वे पानी और अन्य खतरों से सुरक्षित रहे.्र

सुरक्षित संरचना- छत्ते के नीचे पानी न रुके इसके लिए स्टैंड का उपयोग करें.

NBB से ले सकते हैं वित्तीय मदद

कार्बनिक मोम के डिब्बे और अन्य जरूरी सामग्री की व्यवस्था करें. मधुमक्खियों की सुरक्षा के लिए नियमों का पालन आवश्यक है. भारी छत्तों को उठाने के लिए मैनुअल हैंडलिंग तकनीक अपनानी चाहिए. वहीं मधुमक्खी पालन के लिए नाबार्ड और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) से तकनीकी मदद और वित्तीय सहायता ली जा सकती है. इससे आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता और प्रशिक्षण भी सुनिश्चित हो सकता है.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments