Wednesday, April 9, 2025
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बेटी को बनाना चाहता था शिक्षक, जर्जर झोपड़ी में रहता था परिवार, इस संस्था ने पूरा किया पक्के घर का सपना

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राजेश मांझी, जो पहले हैवी ड्राइवर थे, पत्नी के इलाज में सारा पैसा खर्च कर गरीबी में जी रहे थे. भाजपा विधायक प्रत्याशी रामकुमार टोप्पो ने उनकी मदद की और सहयोग फाउंडेशन ने पक्का मकान बनवाया.

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गरीब का सपनों का घर 

हाइलाइट्स

  • राजेश मांझी को सहयोग फाउंडेशन ने पक्का मकान बनवाया.
  • राजेश की पत्नी के इलाज में सारा पैसा खर्च हो गया था.
  • राजेश अपनी बेटी को शिक्षक बनाना चाहते हैं.

अम्बिकापुर. जिंदगी में अगर किसी का भाग्य साथ नहीं देता, तो व्यक्ति के लिए उससे उबरना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाता है और हर काम उल्टा ही पड़ता है. ऐसा ही एक उदाहरण सरगुजा जिले के बरीमा गांव में रहने वाले राजेश मांझी के साथ देखने को मिला. राजेश मांझी पहले एक हैवी ड्राइवर थे, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बिगड़ी कि उनकी आर्थिक स्थिति बद से बदतर हो गई. इसका कारण था उनकी पत्नी गौरी मांझी का आग में झुलस जाना. इसके बाद राजेश ने अपनी पत्नी के इलाज में सारा पैसा लगा दिया. नतीजा यह हुआ कि गौरी मांझी स्वस्थ तो हो गईं, लेकिन राजेश के परिवार में गरीबी ने दस्तक दे दी.

गरीबी किस हद तक लोगों का इम्तिहान लेती है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरगुजा के पहाड़ी और ठंडे क्षेत्र में, जहां सर्दियों में कड़ाके की ठंड पड़ती है और बरसात में खूब पानी बरसता है, वहां राजेश पिछले 14 वर्षों से बिना छत वाली जर्जर झोपड़ी में रहते थे. फिर भी उनके सपने बड़े थे. आइए, उनकी इस दुख भरी कहानी को जानते हैं.

विधायक प्रत्याशी रामकुमार ने की मदद
बरीमा गांव में बसे राजेश पिछले 14 साल से एक जर्जर झोपड़ी में अपनी बेटी और पत्नी के साथ जीवन गुजार रहे थे. झोपड़ी के ऊपर छत नहीं थी, जिसके कारण बरसात में पानी की बूंदे घर में बन रहे खाने पर टपकती थीं, लेकिन वे इसे सहन करते थे. सर्दियों का मौसम, यानी सरगुजा में कड़ाके की ठंड, फिर भी राजेश अपनी पत्नी और बेटी के साथ जीवन बसर करते थे. गरीबी इतनी थी कि वे अपने जीवन में कभी पक्का घर नहीं बना सकते थे, लेकिन उनकी सोच बड़ी थी. वे अपनी बेटी को शिक्षक बनाना चाहते थे. एक दिन विधानसभा चुनाव का दौर था. प्रत्याशी घर-घर पहुंच रहे थे. इसी दौरान जब भाजपा विधायक प्रत्याशी रामकुमार टोप्पो वहां पहुंचे और राजेश की स्थिति देखी, तो राजेश का पहला वाक्य था, ‘मैं अपनी बेटी को शिक्षक बनाना चाहता हूं.’ फिर क्या हुआ, रामकुमार ने वादा किया कि चुनाव का नतीजा चाहे जो हो, वे राजेश को एक पक्का मकान बनाकर देंगे.

आंखों में खुशी के आंसू
इसके तहत सहयोग फाउंडेशन की टीम ने एक पैसा सहयोग करते हुए उनके लिए एक सुंदर पक्का मकान बना दिया. अब गौरी मांझी को पहले से बेहतर महसूस हो रहा है. उनके मुताबिक, पहले का जीवन कठिनाइयों से भरा था, लेकिन सहयोग फाउंडेशन और विधायक की पहल से आज गरीब राजेश को उसके सपनों का घर मिल गया है. घर बनने के बाद राजेश का परिवार बेहद भावुक हो गया. उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे. अब राजेश अपनी बेटी के सपनों को साकार कर सकते हैं.

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बेटी को बनाना चाहता था शिक्षक, जर्जर झोपड़ी में रहता था परिवार, फिर…

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