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छत्तीसगढ़ के घने जंगल अनेक औषधीय जड़ी-बूटियों से भरपूर हैं, जिनमें बहेड़ा (बहेड़ा) एक महत्वपूर्ण वृक्ष के रूप में जाना जाता है. आयुर्वेद में इसे विभीतक, करशफल और कलीदरूमा के नाम से जाना जाता है. इसे त्रिफला का एक प्रमुख घटक माना जाता है. यह अपने औषधीय गुणों के कारण विभिन्न शारीरिक समस्याओं के समाधान में सहायक होता है. जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अनुज कुमार के अनुसार, बहेड़ा एक अत्यंत प्रभावी औषधि है. जो कई रोगों को ठीक करने में कारगर साबित होती है. इसका उपयोग इसके फल, बीज, छाल, पत्तों और चूर्ण के रूप में किया जाता है.