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Naxal Surrender News: एक समय था जब पश्चिम बंगाल के जंगलमहल इलाके से लेकर झारखंड, बिहार ओडिशा, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली तक नक्सलियों ने आतंक मचा रखा था. सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए …और पढ़ें
CRPF नक्सलियों के खिलाफ चौतरफा अभियान छेड़ रखा है, जिसके चलते बड़ी संख्या में नक्सली समर्पण कर रहे हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नक्सली 31 मार्च 2026 के बाद इतिहास के पन्नों में सिमट जाएंगे.
हाइलाइट्स
- नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों में CRPF की नीतियों को मिल रही सफलता
- गृह मंत्री अमित शाह बोले- 31 मार्च 2026 के बाद नक्सलवाद इतिहास
- छत्तीसगढ़ में नक्सली लगातार कर रहे समर्पण, इनमें कई हैं इनामी
नई दिल्ली. रेड कॉरिडोर यानी नक्सलियों का सुरक्षित इलाका. एक समय था जब नक्सलियों ने कई राज्यों में एकसाथ आतंक मचा रखा था. आए दिन बड़े हमलों की खबरें सामने आती रहती थीं. सुरक्षाबलों के जवानों के साथ ही आमलोगों को भी निशाना बनाया जाता था. रेड कॉरिडोर में माओवादियों के आतंक को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानते हुए सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने का फैसला किया और उसी के मुताबिक रणनीतियां भी बनाई गईं. CRPF की भूमिका इसमें काफी अहम रही है. आज के दिन छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों तक नक्सली सिमट कर रह गए हैं. छत्तीसगढ़ में भी दर्जनों की संख्या में नक्सली या तो मारे जा रहे हैं या फिर सरेंडर कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं. रविवार को पुलिस ने बताया कि बीजापुर में एक साथ 50 नक्सलियों ने समर्पण किया. CRPF के एक दांव का असर व्यापक पैमाने पर देखा जा रहा है. वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 31 मार्च 2026 के बाद नक्सलवाद इतिहास बन जाएगा.
दरअसल, साल 2025 की पहली तिमाही में नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण की संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी से भी अधिक हो गई है, CRPF ने छत्तीसगढ़ के सबसे कठिन युद्ध क्षेत्र में इन कैडरों को हथियार डालने के लिए राजी करने के लिए अपनी खुफिया शाखा को सक्रिय कर दिया है. अर्धसैनिक बल द्वारा अपनी जासूसी संचालन इकाई (Snooping Operations Unit) को जारी निर्देश में ‘जन मिलिशिया’ और रिवोल्यूशनरी पीपुल्स कमेटी (आरपीसी) के सदस्यों के साथ-साथ उनके समर्थकों की पहचान करने का काम सौंपा गया है, जिसका लक्ष्य सीपीआई (माओवादी) की धारणाओं को मुख्यधारा की ओर मोड़ना है. इसने खुफिया शाखा के कर्मियों से नागरिकों से जुड़ने, उन्हें सीपीआई (माओवादी) कैडरों को आत्मसमर्पण करने और अपनी विचारधारा से मुकरने और मुख्यधारा के समाज में शामिल होने के लिए राजी करने में भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए भी कहा, क्योंकि केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से लेफ्ट विंग एक्सट्रमिस्ट (एलडब्ल्यूई) को खत्म करने की घोषणा की है.
जबरदस्त सफलता
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के आत्मसमर्पण का आधिकारिक डाटा सामने आया है. इससे पता चलता है कि साल 2024 के पहले तीन महीनों (जनवरी-मार्च) में 124 कट्टर (नकद इनाम वाले उग्रवादी), गैर-पुरस्कार वाले कैडर और ‘जन मिलिशिया’ सदस्यों ने अपने हथियार या विचारधारा को त्याग दिया. इस साल तुलनात्मक अवधि में ये संख्या बढ़कर 280 हो गई है. साल 2024 में कुल 787 आत्मसमर्पण हुए थे, जिनमें से ज़्यादातर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और इसकी विशेष कमांडो इकाई कोबरा के प्रयासों से हुआ था. सीआरपीएफ छत्तीसगढ़ में तैनात लगभग 20 पूर्ण बटालियनों के साथ प्रमुख नक्सल विरोधी अभियान बल है और कोबरा इकाई को विशिष्ट खुफिया-आधारित ऑपरेशन को अंजाम देने का अधिकार है. ऐसी प्रत्येक बटालियन में खुफिया जानकारी जुटाने और विश्लेषण के लिए एक डेडिकेटेड यूनिट होती है.