आकाश शुक्ला
रायपुर. छत्तीसगढ़ में गरीब मरीजों की मौत पर मुनाफाखोरी बड़ा खेल चल रहा है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मिलीभगत कर शव पर ही भ्रष्टाचार कर रहे हैं. दरअसल प्रदेश सरकार मुक्ताजलि निशुल्क शव वाहन (1099) एंबुलेंस योजना संचालित कर रही है. इस निशुल्क एबुलेंस सेवा से सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौत होने पर उनके शव को ससम्मान घर तक छोड़ा जाता है. लेकिन लंबे समय से स्वास्थ्य विभाग में फर्जी बिल लगातार हर साल सरकार को करोड़ों का चुना लगाया जा रहा है. एबुलेंस सेवा से जुड़े अधिकारी और एजेंसी सिंडीकेट बनाकर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे. बता दें कि लंबे समय से आ रहे शिकायतों के आधार पर जब मुक्तांजलि एंबुलेंस के कुछ दस्तावेज और बिल की पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए.
स्वास्थ्य विभाग में लगे दस्तावेज में मृतक और परिजन के फर्जी नाम डाले गए उनसे बातचीत में पता चला कि मृतक न तो उनके परिजन है और ना ही उन्होंने एंबुलेंस सेवा का लाभ लिया है. वहीं कई मामलों में किलोमीटर भी बेतहासा बढ़ाकर बिलिंग किया गया है. मामले में जब स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से भ्रष्टाचार को बातचीत कि तो उन्होंने इस पर कुछ कहने से ही इनकार कर दिया और बचते नजर आए. सरकार की महत्वाकाक्षी मुक्ताजति एंबुलेस योजना गरीबों के लिए बुरे समय में मदद के तौर पर लॉन्च की गई थी. लेकिन गरीबों को तो बुरे समय में मदद नहीं मिल रही है. कमीशनखोरों को इससे अपनी जेब भरने में मदद जरूर मिल गई. देखना है सिस्टम इन कमीशन खोरों पर क्या कार्रवाई करता है.
प्रदेश के 4 संभागों में पड़ताल से खुला मामला
केस 1
विभाग के एक दस्तावेज में प्रिया पाढो (1 दिन का लड़का) पिता सुनील पाढो की मृत्यु होना बताया. जब बिल में दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल किया तो व्यक्ति ने बताया कि वह महेंद्र सिंह है जो बलरामपुर निवासी है. उनके बच्चे की मृत्यु ही नहीं हुई.
केस 2
दस्तावेज में कौशल्या बाई की 4 अप्रैल 2024 को एम्स में मृत्यु होने पर उसे राजनांदगांव निवास में छोड़ना बताया गया. दस्तावेज की पड़ताल में पता महिला की मृत्यु 11 अप्रैल को हुई थी और मृतका को एम्स से भिलाई छोड़ा गया था.
केस 3
अप्रैल 2024 को सविता गोंड दो दिन का लड़का अंबिकापुर जिला अस्पताल से वाड्रफ नगर ले जाया गया, का नाम राम जीवन दिया गया है. नंबर पर कॉल करने पर बताया गया कि व्यक्ति विजेंदर है, जो प्रतापपुर का रहने वाला है. इन्होंने कहा मेरे यहां किसी की डेथ नहीं हुई.
केस 4
मृतका समा बाई (84) के शव को 4 अप्रैल 2024 को एम्स रायपुर से उसूर बीजापुर छोड़ने की जानकारी दी है. इनके दामाद का नाम राकेश जोशी और मोबाइल नंबर दिया गया है. जब हमने पता लगाया तो व्यक्ति का नाम राकेश शर्मा है, जो रायपुर के कबीर नगर का रहने वाला है.
योजना के आंकड़े
18 से 20 करोड़ रुपये हर साल मुक्तांजलि का बजट
100 करोड़ रुपये के लगभग 5 सालों में खर्च हुए
70 फीसदी भुगतान जाच बिना ही बिल लगता ही विभाग एजेंसी को कर देता है
38 से 40 हजार शव लगभग हर साल छोड़ने का दावा
500 लगभग कॉल मुक्तांजलि सेवा के लिए हर दिन
मुक्तांजली एंबुलेंस के नोडल अधिकारी डॉक्टर कमलेश जैन का कहना है कि मामले में मैं कुछ नहीं कह सकता हूं. आप आला अधिकारियों से बात कर सकते हैं. तो वहीं स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल का कहना है कि पूरे मामाने की जांच कराएंगे. जो दोषी होंगे उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. गड़बड़ी पर किसी भी अधिकारी को नहीं छोड़ा जाएगा.