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Watermelon cultivation: बलौदाबाजार जिले के कसडोल ब्लॉक में सबसे उच्च गुणवत्ता वाले तरबूज उगाए जाते हैं. यहां के किसान पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से इसकी खेती कर रहे हैं. किसान दिसंबर में रेत पर नाली बनाकर ब…और पढ़ें
तरबूज की खेती
Watermelon cultivation: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, क्योंकि राज्य की भौगोलिक स्थिति धान की खेती के लिए बेहद अनुकूल है. हालांकि,धान के लिए प्रसिद्ध इस राज्य में अब रेत में सब्जियों और फलों की खेती भी लाभप्रद साबित हो रही है. इस खेती को हर साल गर्मियों में नदी का पानी सूखने के बाद अंजाम दिया जाता है. रेत में फसल की उपज मैदानी खेतों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना अधिक होती है. महानदी,जो छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी है.अब खेती का भी प्रमुख स्रोत बन गई है.
चार से पांच महीने तक महानदी के किनारों पर खीरा,ककड़ी,तरबूज और खरबूज की खेती होती है. आरंग के पास लगभग 100 किसान रेत घाट के ठेकेदारों से जमीन किराये पर लेकर खेती करते हैं. छत्तीसगढ़ में एक हजार से अधिक किसान जनवरी से लेकर मध्य जून तक नदी में खेती करते हैं. यहां उगाए गए तरबूज और खरबूज में अद्वितीय मिठास होती है. जिन्हें पकने पर अपने आप खुशबू से पहचाना जा सकता है.
रेत पर तरबूज की खेती
गर्मी के मौसम में हर घर में तरबूज की मांग होती है. यह रसीला फल न केवल स्वाद में बेहतरीन होता है बल्कि शरीर को ठंडक भी प्रदान करता है. छत्तीसगढ़ की महानदी न केवल पानी की जरूरतों को पूरा कर रही है,बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ बना रही है. जिले में हजारों किसान हर साल महानदी के किनारों और नदी के अंदर पानी कम होने के बाद रेत पर तरबूज की खेती करते हैं.
विदेशों तक निर्यात होता यहां का फल
बलौदाबाजार जिले के कसडोल ब्लॉक में सबसे उच्च गुणवत्ता वाले तरबूज उगाए जाते हैं. यहां के किसान पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से इसकी खेती कर रहे हैं. किसान दिसंबर में रेत पर नाली बनाकर बुआई शुरू करते हैं और फरवरी से अप्रैल के बीच फसल तैयार हो जाती है. यहां के तरबूजों की मांग केवल छत्तीसगढ़ और भारत के विभिन्न राज्यों तक ही सीमित नहीं है,बल्कि नेपाल,पश्चिम बंगाल और दुबई जैसे खाड़ी देशों तक भी पहुंच चुकी है. व्यापारी यहां से तरबूज खरीदकर मुंबई और कोलकाता के निर्यातकों को भेजते हैं. जहां से इन्हें बारकोड लगाकर विदेशों तक निर्यात किया जाता है.