दमोह शहर के हटा नाका स्थित मुक्तिधाम में अब अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह गौकाष्ठ का उपयोग करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए मुक्तिधाम समिति डेढ़ लाख रुपये से प्लांट तैयार करेगी और उससे गौकाष्ठ बनाकर लोगों के लिए कम दाम में उपलब्ध कराएगी।
दरअसल, समिति यह कदम पेड़ों को काटने से बचाने के लिए उठाने जा रही है। अब तक उज्जैन महाकाल और देवास में गौकाष्ठ का इस्तेमाल अंतिम संस्कार में हो रहा है। इसलिए अब समिति सदस्यों ने गौकाष्ठ से अंतिम संस्कार प्रारंभ कराने का निर्णय लिया। इसके लिए समिति के सदस्य बाहर जाकर गोबर की लकड़ी बनाने की प्रक्रिया देखकर भी आ गए हैं।
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समिति के उमा गुप्ता ने बताया कि हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद मृत शरीर का दाह संस्कार करने में लकड़ी का सबसे अधिक उपयोग होता है। इसमें 70 फीसदी लकड़ी का उपयोग अंतिम संस्कार में हो रहा है। एक शव के अंतिम संस्कार में 4 से 5 क्विंटल लकड़ी लगती है। यहां पर एक माह में 40 से 50 शवों का अंतिम संस्कार होता है, जिसमें सबसे ज्यादा लकड़ी जलती है।
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गोबर की लकड़ी और कंडे होंगे उपलब्ध
पेड़ों को बचाने के लिए अब मुक्तिधाम में गाय के गोबर की लकड़ी और कंडे उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है। इस पहल के तहत गोबर की लकड़ी और कंडे बनाने के लिए मशीन लाई जा रही है। इससे तैयार होने वाली गौकाष्ठ किफायती होगी। केवल तीन क्विंटल में शव का दाह संस्कार
होगा। ऐसे में हर साल औसतन करीब 200 पेड़ों को कटने से बचाया जा सकेगा। प्रारंभिक तौर पर गौकाष्ठ और लकड़ी दोनों का इस्तेमाल शवों के दाह संस्कार के लिए किया जाएगा। बाद में अधिक उत्पादन की स्थिति बनने पर लकड़ी का उपयोग बंद कर दिया जाएगा। मुक्तिधाम में विराजमान भगवान शिव की प्रतिमा के समीप यह मशीन लगाई जाएगी।
60 किलो गोबर से बनाएंगे 15 किलो गोबर की लकड़ी
पशु विशेषज्ञों के बताए अनुसार एक गाय 24 घंटे में 8 से 10 किलो गोबर देती है। एक मशीन की क्षमता एक घंटे में 100 किलो गोबर खपाने की है। मशीन के जरिए 60 किलो गोबर से 15 किलो गोबर की लकड़ी तैयार हो जाती है। लकड़ी में 15 प्रतिशत तक नमी होती है जबकि गोकाष्ठ, गोबर के कंडों में डेढ़ से दो फीसदी तक नमी मिलती है।
वहीं लकड़ी को जलाने में 5 से 15 किलो घी या तेल का इस्तेमाल होता है। उमा गुप्ता के मुताबिक एक साल से इसकी तैयारी चल रही है। जो लोग लकड़ी बाजार से खरीदकर लाते हैं, उनके लिए जल्द ही मुक्तिधाम में ही गो-काष्ठ मिलेगा। जिससे वे अंतिम संस्कार कर सकेंगे।