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Raipur News: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन में 750 करोड़ के घोटाले में ACB और EOW ने 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. स्वास्थ्य मंत्री ने भी भ्रष्टाचार की पुष्टि की है. फिलहाल मामले की जांच जारी है.
CG News: CGMSC घोटाले में बड़ी कार्रवाई.
हाइलाइट्स
- सीजीएमएससी घोटाले में बड़ी कार्रवाई
- एसीबी और EOW ने 5 अधिकारियों को किया गिरफ्तार
- जांच के दायरे में 3 IAS अधिकारी
आकाश शुक्ला
रायपुर. छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन (CGMSC) के रिएजेंट किट, दवा खरीदी में 750 करोड़ के घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. इसमें CGMSC के जीएम टेक्निकल कमल कांत पाटनवार, बायोमेडिकल इंजीनियर खिरौद रावतिया, पूर्व जीएम CGMSC बसंत कोशिक, स्वास्थय विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर अनिल परसाई और आनंद राव गिरफ्तार हुए हैं. वहीं 3 IAS अधिकारी CGMSC की प्रबंध संचालक पद्मिनी भोई साहू, पूर्व प्रबंध संचालक चंद्रकांत वर्मा, पूर्व संचालक स्वास्थ्य सेवाएं भीम सिंह से भी पूछताछ चल रही. मामले में और भी कुछ IAS और आला अधिकारियों के नाम होने की बात भी सामने आ रही है.
मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा पहले की गिरफ्तार हो चुका हैं, जिनसे पूछताछ जारी है.
बता दें छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में खून की जांच और दवाओं की आपूर्ति के नाम पर CGMSC के अधिकारियों ने गरीब मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया है. सरकार इसमें ACB और EOW से जांच करा सही है. कहा ये भी जा रहा है बचने के लिए कई अधिकारी विभाग अब फाइलों को हेर फेर करने में लगे हैं.
CGMSC के अधिकारियों ने सरकार को लगाया चुना: स्वास्थय मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जयसवाल ने माना कि लैब, रीएजेंट किट, दवा खरीदी में भ्रष्टाचार हुए हैं. स्वास्थ्य मंत्री जयसवाल ने News18 को बताया कि कई करोड़ की दवाइयां, रीएजेंट किट भ्रष्टाचार की बातें सामने आ रही थी, तो हमने भी पड़ताल किया. 15 दिन के अंतराल में ही नियम ताक पर रखकर 3-3 सौ करोड़ की दवाइयां, किट खरीदना संदेह को जन्म दे रहा था. 28 करोड़ से अधिक किट खराब हुए. ये बड़े आर्थिक नुकसान का मामला था, तो ACB, EOW को दिया गया था. अब कार्रवाई के बाद जांच में आगे दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
FIR में बताया , CGMSC और स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकारियों ने ऐसे दिया भ्रष्टाचार को अंजाम
ब्लड सैंपल कलेक्शन के लिए उपयोगी EDTA ट्यूब 2,352 प्रति नग की दर से खरीदा, जब कि अन्य स्थानों में इसका मूल्य मात्र 8.50 रुपये ही है. इस तरह अरबों के ट्यूब की खरीदी हुई.
300 करोड़ रुपये के रिएजेंट किट, एक्सपायरी डेट के नजदीक वाले खरीदे और प्रदेश के 200 से अधिक अस्पतालों में बिना मांग के ही भेज दिया. जबकि इन अस्पतालों में जांच की CBC मशीन ही नहीं थी.
फर्जी टेंडर प्रक्रिया के लिए रिकॉर्ड्स मेडिकेयर और शारदा इंडस्ट्रीज के नाम से फर्जी कंपनी बनवाई.
बाजार में 50 हजार रुपये में मिलने वाली CBC मशीन को CGMSC ने 17-17 लख रुपये में खरीदे.
बिना प्रशासकीय अनुमोदन के खरीदी से शासन पर 411 करोड़ रुपये की देनदारी अधिकारियों ने कर दी.