श्री महाकालेश्वर मंदिर में बुधवार 19 मार्च को रंगपंचमी पर रंग, गुलाल और कलर गन समेत अन्य सामग्री लगाना प्रतिबंधित रहेगा। एक लोटा केसर युक्त जल अर्पित कर बाबा के आंगन में रंगपंचमी मनाई जाएगी। वहीं, आज श्री महाकालेश्वर मंदिर में चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सुबह 4 बजे हुई भस्मारती के दौरान बाबा महाकाल का पंचामृत पूजन-अभिषेक कर भव्य श्रृंगार किया गया। श्रृंगार के पश्चात बाबा महाकाल को भस्म रमाई गई, जिसके बाद भक्तों ने दिव्य दर्शन का लाभ लिया और ‘जय श्री महाकाल’ के उद्घोष किए।
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श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बाबा महाकाल सुबह 4 बजे जागे। भगवान वीरभद्र और मानभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद, बाबा महाकाल को स्नान करवाया गया, फिर दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी आदि पंचामृत से अभिषेक किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर ‘हरि ओम’ का जल अर्पित किया गया। इसके पश्चात भगवान महाकाल का भव्य श्रृंगार किया गया। भक्तों ने बाबा महाकाल की भक्ति में लीन होकर इस दिव्य श्रृंगार के दर्शन किए और ‘जय श्री महाकाल’ के जयकारे लगाए। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा बाबा महाकाल को भस्म रमाई गई और फिर कपूर आरती की गई।
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रंगपंचमी के उपलक्ष्य में विशेष आयोजन
श्री महाकालेश्वर मंदिर में बुधवार को रंगपंचमी के अवसर पर भस्मारती में एक लोटा केसर युक्त जल और संध्या आरती में केसर का रंग प्रतीकात्मक रूप से भगवान श्री महाकालेश्वर को अर्पित किया जाएगा। हर्बल गुलाल, केसर युक्त जल एवं केसर का रंग मंदिर प्रबंध समिति की कोठार शाखा द्वारा भस्मारती पुजारी और शासकीय पुजारी को उपलब्ध कराया जाएगा। मंदिर समिति के आदेशानुसार रंगपंचमी पर गर्भगृह, नंदी मंडपम्, गणेश मंडपम्, कार्तिकेय मंडपम् और सम्पूर्ण मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार का रंग-गुलाल ले जाना, उड़ाना या आपस में लगाना प्रतिबंधित रहेगा। श्रद्धालुओं को जांच के उपरांत ही मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।