Thursday, March 20, 2025
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होली के 5 दिन बाद खेली जाती है लट्ठमार होली, गांव में नहीं होती कोई बीमारी

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पंतोरा गांव में रंग पंचमी पर लट्ठमार होली मनाई जाती है, जिसमें कुंवारी कन्याएं अभिमंत्रित बांस की छड़ियों से प्रहार करती हैं. ग्रामीणों का मानना है कि इससे बीमारियां दूर होती हैं.

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पेंतोरा में मनाया जाता है लठमार होली 

हाइलाइट्स

  • पंतोरा में रंग पंचमी पर लट्ठमार होली खेली जाती है.
  • कुंवारी कन्याएं अभिमंत्रित बांस की छड़ियों से प्रहार करती हैं.
  • ग्रामीणों का मानना है कि इससे बीमारियां दूर होती हैं.

लखेश्वर यादव/जांजगीर चांपा. पूरे देश में 14 मार्च को होली का त्यौहार मनाया गया और 19 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाएगी. जांजगीर-चांपा जिले के जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर कोरबा रोड पर स्थित पंतोरा गांव में होली का त्यौहार रंग और गुलाल के साथ मनाया जाता है. लेकिन, होली के पांचवें दिन यहां लट्ठमार होली खेली जाती है. रंग पंचमी के दिन राधा के गांव बरसाने की तर्ज पर यहां लट्ठमार होली का आयोजन होता है, जिसे स्थानीय भाषा में डंगाही होली कहा जाता है.

पंतोरा गांव में लट्ठमार होली के दिन गांव की कुंवारी कन्याएं मंदिर में अभिमंत्रित बांस की छड़ियों से लोगों पर प्रहार करती हैं. यहां के ग्रामीणों का मानना है कि छड़ी खाने से बीमारियां दूर होती हैं, इसलिए इस पर्व का पंतोरा में विशेष महत्व है. त्योहार के महत्व और आस्था का लोग विशेष सम्मान भी करते हैं.

ऐसे होती है पूजा की शुरुआत
बलौदा ब्लॉक के पंतोरा गांव में स्थित मां भवानी मंदिर परिसर में रंग पंचमी के दिन हर साल पंतोरा के ग्रामीण जुटते हैं. यहां के ग्रामीण लाल बहादुर सिंह ने बताया कि यहां लट्ठमार होली की बरसों पुरानी परंपरा चली आ रही है. रंग पंचमी के एक दिन पूर्व शाम को ग्रामीण कोरबा जिले के मड़वारानी के जंगल से बांस की छड़ी लेकर आते हैं. इसमें उसी छड़ी का उपयोग किया जाता है जो एक ही कुल्हाड़ी में कट जाए. उसी छड़ी की पूजा की जाती है और रंग पंचमी के दिन मां भवानी के सामने उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद कामना की जाती है कि उनके गांव में कोई बीमारी न फैले. गांव के भवानी मंदिर में माता की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं की ओर से माता को 5 बार बांस की छड़ी स्पर्श कराई जाती है. इसके बाद मंदिर परिसर के देवी-देवताओं पर भी कुंवारी कन्याएं बांस की छड़ी बरसाती हैं.

गांव में नहीं हुई कोई गंभीर बीमारी
छत्तीसगढ़ में होली के पांचवें दिन ‘रंग पंचमी’ मनाई जाती है. इसी दिन पंतोरा में हर साल ‘लट्ठमार होली’ मनाई जाती है. राधा के गांव बरसाने की तर्ज पर पंतोरा में भी ‘लट्ठमार होली’ की परंपरा कई साल से जारी है. यह परंपरा गांव की पहचान है और पंतोरा के लोगों की आस्था का प्रतीक है. हम इस परंपरा को संजोकर रखते हैं और आगे भी इसे मानते रहेंगे. माता रानी की कृपा पूरे ग्रामवासियों पर बनी रहे. बताया गया कि जब से यह प्रथा शुरू हुई है, तब से कोई गंभीर बीमारी नहीं आई है.

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होली के 5 दिन बाद खेली जाती है लट्ठमार होली, गांव में नहीं होती कोई बीमारी

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