Thursday, March 13, 2025
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क्या कोरबा की जनता को मिल रही है असली मिठाई? बना हुआ है रहस्य! दूध की सीमित उपलब्धता ने खड़े किए सवाल

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कोरबा शहर में दूध और डेयरी उत्पादों की 50 से अधिक छोटी-बड़ी दुकानें हैं. उपनगरीय क्षेत्रों में लगभग 100 दुकानें हैं. शहर में दूध की आपूर्ति मुख्य रूप से कोरबा और आस-पास के खटालों से होती है.वहीं उत्पादित दूध की…और पढ़ें

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हाइलाइट्स

  • कोरबा में दूध की सीमित आपूर्ति पर सवाल.
  • स्थानीय उत्पादन से मिठाई निर्माण संभव नहीं.
  • खाद्य सुरक्षा विभाग ने जांच नहीं की.

कोरबा: पावर हब, एल्युमिनियम और कोल सिटी के रूप में पहचान रखने वाले कोरबा में नागरिकों को सही गुणवत्ता वाली मिठाई और डेयरी उत्पाद मिल रहे हैं या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है. त्योहारों के मौसम में अक्सर यह मुद्दा उठता है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर दूध की सीमित उपलब्धता को लेकर संदेह गहराता है. कोरबा शहर में दूध और डेयरी उत्पादों की 50 से अधिक छोटी-बड़ी दुकानें हैं. उपनगरीय क्षेत्रों जैसे बालको नगर, कुसमुंडा, जमनिपाली, और दर्री में भी लगभग 100 दुकानें हैं.

सही मिठाई को लेकर संसय बरकरार

शहर में दूध की आपूर्ति मुख्य रूप से कोरबा और आस-पास के खटालों से होती है, जहां सैकड़ों भैंसें हैं. गायों की संख्या कम होती है. अनुमान है कि इन सभी स्रोतों से उत्पादित दूध की कुल मात्रा 5000 लीटर से अधिक नहीं है. कोरबा जिला दुग्ध विक्रेता संघ के अध्यक्ष रामनरेश शर्मा के अनुसार, वर्तमान में उत्पादित दूध केवल लोगों की चाय की जरूरतों को ही पूरा कर सकता है. घरों के अलावा, होटल और जलपान केंद्रों में भी लोग चाय के साथ दूध से बनी मिठाई, पनीर, खोवा और दही खरीदते हैं, और यह मान लेते हैं कि ये उत्पाद गुणवत्तापूर्ण होंगे. लेकिन, रामनरेश शर्मा कहते हैं कि स्थानीय उत्पादन के माध्यम से इन सभी वस्तुओं का निर्माण संभव नहीं है. यह कैसे हो रहा है, यह एक रहस्य बना हुआ है.

लोगों के स्वास्थ्य के साथ तो नहीं हो रहा खिलवाड़

हर त्योहार से पहले खाद्य सुरक्षा विभाग बड़े पैमाने पर अभियान चलाता है. दुकानों से मिठाइयों और अन्य खाद्य सामग्री के नमूने लिए जाते हैं और जांच के लिए भेजे जाते हैं. कई बार नमूने पास होते हैं, तो कई बार फेल. नियमों के अनुसार, दोषी पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाता है और लाइसेंस रद्द कर दिए जाते हैं. लेकिन, हैरान करने वाली बात यह है कि विभाग ने अब तक यह जांच नहीं की है. जब कोरबा जिले में दूध की आपूर्ति सीमित है, तो हजारों किलो मिठाई कैसे बनाई जा रही है, और यह जन स्वास्थ्य के लिए कितनी सुरक्षित है. यह चिंता का विषय है कि कहीं मिलावटी या नकली उत्पादों से लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो नहीं हो रहा.

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कोरबा में मिलने वाली मिठाई असली या नकली, दुग्ध उत्पादक संघ से जानें सच्चाई

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