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Herbal gulal made from palash flowers: होली में प्राकृतिक रंग और गुलाल का इस्तेमाल हो इसको लेकर मां बम्लेश्वरी स्व सहायता समूह से जुड़ी हरियाली बहिनी के द्वारा पलाश के फूलों से विभिन्न कलर के रंग गुलाल तैयार कि…और पढ़ें
पलाश फूल गुलाल
राजनांदगांवः स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा इस बार होली को लेकर पलाश टेशु के फूलों से हर्बल गुलाब तैयार किया जा रहा है. विभिन्न कलर में यह तैयार हो रहे हैं जो पूरी तरीके से हर्बल है. बिना किसी केमिकल के महिलाओं के द्वारा इसे तैयार किया जा रहा है और अच्छी खासी इनकम भी की जा रही है. इस बार हर्बल गुलाल बनाकर हरियाली बहिनियों के द्वारा लोगों को प्रकृति के प्रति जोड़ने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
राजनांदगांव जिले के मां बम्लेश्वरी स्व-सहायता समूह से जुड़ी हरियाली बहिनी पलाश के फूलों से रंग गुलाल बना रही हैं. जिले के ग्राम फाफामार में इसका प्रशिक्षण दिया गया था. इसके साथ ही ग्राम सोनवानी टोला,टिपानगढ़ तेंदुटोला,चवेली और अन्य क्षेत्रों की महिलाएं इससे जुड़ी और विभिन्न क्षेत्रों में हरियाली बहिनी के द्वारा टिशु पलाश के फूलों से विभिन्न तरीके के कलर तैयार किया जा रहे हैं जो पूरी तरीके से केमिकल मुक्त है.
मार्केट में इसकी अच्छी खासी डिमांड
स्व सहायता समूह से जुड़ी हरियाली बहिनी यमुना साहू ने बताया हरियाली बहिनी के द्वारा ग्राम चवेली में हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही हैं, इसके लिए हमारे द्वारा अरारोट का पाउडर लिया गया है और पलाश का फूल लिया गया है. पलाश के फूल को अच्छी तरीके से छटाने के बाद उसे धोकर उसका रस निकालने के बाद ऑरेंज कलर का गुलाल तैयार किया गया है. पीला कलर के लिए हल्दी का रस निकालकर इसे तैयार किया गया है. इसके साथ ही हरा कलर तैयार करने के लिए पालक भाजी का रस लिया गया है और इसे डालकर तैयार किया गया है. यह पूरी तरीके से नेचुरल और हर्बल गुलाल है. मार्केट में इसकी अच्छी खासी डिमांड है. बड़ी संख्या में हमारे द्वारा इसको तैयार किया गया है.
10 से 12 सेक्टरों में गुलाल रंग बनाया जा रहा
अभियान प्रमुख शिवकुमार देवांगन ने बताया कि मां बम्लेश्वरी स्व-सहायता से जुड़ी हरियाली बहिनी के द्वारा टिशु पलाश के फूलों को एकत्रित करके गुलाल तैयार किया जा रहा है, राजनांदगांव जिला पूरी तरीके से टिशु पलाश के फूलों से भरा हुआ है. इसलिए महिलाओं द्वारा इसका गुलाल तैयार किया जा रहा है. जब हम छोटे थे तब पलाश के फूलों के ही उपयोग करते थे. हम चाहते हैं कि पूरे छत्तीसगढ़ में लोग टिशु के फूल से बने गुलाल का उपयोग करें. इससे त्वचा को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता. हमारी हरियाली बहिनी द्वारा 10 से 12 सेक्टरों में गुलाल रंग बनाया जा रहा है.
Rajnandgaon,Chhattisgarh
March 12, 2025, 20:05 IST