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कोरबा जिले के पठियापाली गांव की साक्षरता दर 95% है और हर घर में एक या दो सदस्य सरकारी नौकरी में हैं. इस बदलाव का श्रेय शिक्षक बिंझवार गुरुजी को जाता है जिन्होंने शिक्षा की अलख जगाई.
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हाइलाइट्स
- पठियापाली गांव की साक्षरता दर 95% है.
- हर घर में एक या दो सदस्य सरकारी नौकरी में हैं.
- शिक्षक बिंझवार गुरुजी ने शिक्षा की अलख जगाई.
अनूप पासवान/कोरबा. कोरबा जिले के करतला विकासखंड में स्थित पठियापाली गांव शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल पेश कर रहा है. इस गांव की साक्षरता दर 95% है, जो इसे राज्य के सबसे शिक्षित गांवों में से एक बनाती है. सबसे खास बात यह है कि पठियापाली के लगभग हर घर में एक या दो सदस्य सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं. कभी शिक्षा से वंचित रहने वाला यह गांव आज शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है. इस बदलाव का श्रेय एक शिक्षक को जाता है, जिन्होंने गांव में शिक्षा की अलख जगाई.
गांव के 95 वर्षीय बुजुर्ग मानसिंह बताते हैं कि उनके बचपन में बिंझवार गुरुजी नामक एक शिक्षक बाकीमोगरा से नदी पार करके पठियापाली आते थे और बच्चों को पढ़ाते थे. गुरुजी की ओर से दी गई शिक्षा का ही परिणाम है कि आज पूरा गांव शिक्षित है और सरकारी नौकरियों में अपनी जगह बना रहा है.
सारा गांव है शिक्षित
पड़ोसी गांव के निवासी शीतल सिंह, जिन्होंने पठियापाली से ही शिक्षा प्राप्त की है, बताते हैं कि पहले की शिक्षा और अब की शिक्षा में बहुत अंतर है. पहले शिक्षक बच्चों को घर से स्कूल लाने जाते थे और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में बताते थे. पठियापाली गांव को शिक्षित होने का एक बड़ा लाभ यह हुआ कि बुजुर्गों ने स्वयं शिक्षा प्राप्त की और अपने बच्चों को भी शिक्षा के लिए प्रेरित किया.
समाज के लिए बड़ा बदलाव
आज, पठियापाली के लगभग हर घर में एक या दो सदस्य सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं. गांव के युवा शिक्षा को महत्व देते हैं और बेहतर भविष्य के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. पठियापाली गांव शिक्षा के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. यह गांव न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है. पठियापाली की कहानी यह साबित करती है कि शिक्षा के माध्यम से किसी भी समाज को बदला जा सकता है और बेहतर भविष्य का निर्माण किया जा सकता है.
Korba,Chhattisgarh
March 12, 2025, 21:21 IST