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कोर्ट – फोटो : अमर उजाल
विस्तार
एक दिलचस्प मामले में बिलासपुर की महिला ने सैकड़ों किलोमीटर दूर पुणे में रहने वाले अपने देवर-देवरानी को घरेलू हिंसा में आरोपी बना दिया। मामले में कोर्ट ने महिला को नोटिस जारी कर उन दोनों का नाम हटाने का निर्देश दिया है।
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जानकारी के अनुसार, नगर निगम बिलासपुर में कार्यरत विकास चौरसिया ने पहली पत्नी को तलाक देकर सिम्स में कार्यरत स्टाफ नर्स जागृति तिवारी से दूसरी शादी की है। पहली पत्नी से उसकी दो बेटियां हैं, जो उसके साथ ही रहती हैं। दूसरी शादी से भी एक बेटी है। जागृति भी अपने पहले पति को तलाक दे चुकी हैं और पूर्व पति से भरण-पोषण ले चुकी हैं। इसी तरह विकास भी पहली पत्नी पूनम को भरण पोषण देता है। दूसरी शादी के बाद भी विकास और जागृति में कुछ समय बाद मतभेद होने लगा। लगातार झगड़े होने के बाद जागृति ने अपने पति के साथ ही पुणे में रहने वाले देवर विशाल और देवरानी पर भी घरेलू हिंसा करने का आरोप लगाते हुए प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां परिवाद प्रस्तुत किया।
नोटिस मिलने पर पुणे निवासी विशाल ने आवेदन देकर कोर्ट को बताया कि हम दोनों पुणे में रहते हैं और माता के निधन होने पर बिलासपुर गये थे। इसके अलावा साल में एक-आध बार ही जाना होता है। प्रताड़ित करने जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन जेएमएफसी ने आवेदन खारिज कर दिया। इसकी सेशन कोर्ट में अपील की गई। वहां भी इसे ख़ारिज कर दिया गया। पीड़ित विशाल ने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन प्रस्तुत की।
कोर्ट को बताया गया कि घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12–2 में स्पष्ट है कि जब संयुक्त रूप से रहते हुए साझा गृहस्थी होती है, तब इस प्रकार का अपराध दर्ज हो सकता है। इस मामले में दोनों ही आरोपी सुदूर पुणे में रहकर वहां नौकरी करते हैं। उनका बिजली बिल और आधार कार्ड भी महारष्ट्र का है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने जागृति तिवारी को नोटिस जारी कर विशाल और उनकी पत्नी का नाम कार्रवाई से हटाने का निर्देश दिया है।