किसकी पूजा करते हैं किन्नर?
किन्नर अखाड़ा शैव संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। किन्नरों के इष्ट देव अर्धनारीश्वर और इष्ट देवी बहुचरा माता हैं। इन्हें मुर्ग वाली माता भी कहा जाता है। देश में किन्नरों की कुलदेवी बहुचरा माता का मुख्य मंदिर गुजरात के मेहसाणा में हैं। बहुचरा मां की पूजा के बाद ही किन्नर संत कोई कार्य शुरू करते हैं। हालांकि, कुछ किन्नर संत अपने आस्था के अनुसार मां काली और कामाख्या माता की भी पूजा करते हैं।
किन्नर अखाड़े को वैश्विक स्तर पर ले जाएंगे
किन्नर अखाड़े की संस्थापक और आचार्य महामण्डलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि, उनका इरादा किन्नर अखाड़े को वैश्विक स्तर पर ले जाने का है। बैंकॉक, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, सेंट फ्रांसिस्को, अमेरिका, हॉलैंड, फ्रांस और रूस सहित दुनिया भर के विभिन्न देशों से 200 से अधिक ट्रांसजेंडर लोगों को किन्नर अखाड़े में शामिल किया जाएगा। किन्नर अखाड़े से जुड़े ट्रांसजेंडर लोग विदेशों में अखाड़े की स्थापना करना चाहते हैं।
अखाड़े में साधु-साध्वी दोनों, पहनावा अलग
किन्नर अखाड़े में साधु और साध्वी दोनों होते हैं। हालांकि, इसका चयन उनकी व्यक्तिगत पसंद या गुरु द्वारा दी गई दीक्षा पर निर्भर करता है। कुछ किन्नर अखाड़े में शामिल होने के बाद पुरुषत्व को अपनाते हैं और साधु कहलाते हैं। वे भगवा वस्त्र धारण करते हैं, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते हैं। कुछ किन्नर अखाड़े में शामिल होने के बाद स्त्रीत्व को अपनाते हैं, वे साध्वी कहलाती हैं। इनका पहना सफेद वस्त्र होते हैं और धार्मिक गीतों का गायन करती हैं। वहीं, कुछ किन्नर ऐसे भी हैं जो न तो पुरुष और न ही स्त्रीत्व को अपनाते हैं। जबकि, कुछ किन्नर अपनी पसंद के अनुसार रंगीन वस्त्र भी पहनते हैं।