Last Updated:
Chhattisgarh Teacher Eviction News: छत्तीसगढ़ में 2897 सहायक शिक्षकों को सरकार ने निष्कासित कर दिया है. सरकार से अपील करने के बाद भी बात नहीं बन पा रही है. सरकार ने अब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया है. सरकार ने समिति का…और पढ़ें
रायपुर. छत्तीसगढ़ में 2897 सहायक शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. ये शिक्षक 2018 में एनसीटीई के नियमों के तहत भर्ती हुए थे. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उनकी योग्यता पर सवाल खड़े किए गए हैं, जिसके चलते राज्य सरकार ने इन शिक्षकों को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया है. सरकार का यह कदम छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है. बर्खास्त किए गए सहायक शिक्षक यश कुमार वर्मा ने लोकल 18 को बताया कि कोर्ट ने अयोग्य घोषित कर दिया है.
हम सरकार से बार-बार अपील कर रहे हैं कि हमारे भविष्य के संकट का समाधान निकाले. हालांकि, सरकार ने एक समिति गठित की है, लेकिन उसकी कोई समय सीमा तय नहीं है. हमें यह भी नहीं पता कि समिति हमारे पक्ष में कोई फैसला देगी या नहीं. हमारी मांग है कि समिति में हमारा एक प्रतिनिधि शामिल हो, ताकि हमारी समस्याओं को प्रमुखता से रखा जा सके.
दंडवत यात्रा निकालकर सरकार से की अपील
यश कुमार ने बताया कि दंडवत यात्रा निकालकर सरकार से अपील की है. यह दुखद है कि एक शिक्षक को सड़क पर दंडवत होकर अपनी नौकरी के लिए अनुनय करना पड़ रहा है. जिन बच्चों को हमने पढ़ाया है, वे हमें इस स्थिति में देख रहे हैं. मेरा पांच साल का बेटा समझता है कि उसके पापा शिक्षक हैं, लेकिन अब मेरी नौकरी चली गई है. यह पूरे शिक्षा जगत के लिए एक बड़ा संकट है. निष्कासित सहायक शिक्षक सागर अवधिया ने बताया कि वे अपने साथियों के साथ 4 दिसंबर को अंबिकापुर से 350 किलोमीटर की अनुनय यात्रा करके राजधानी रायपुर पहुंचे.
सहायक शिक्षकों का प्रदर्शन जारी
19 दिसंबर से वे धरना स्थल पर डटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि हम मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च में प्रार्थना कर चुके हैं. सामूहिक मुंडन और जल समाधि जैसे प्रयास भी किए हैं. भूख हड़ताल के कारण हमारे 7-8 साथियों की तबीयत बिगड़ चुकी है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है. लेकिन अब तक सरकार का कोई प्रतिनिधि हालचाल लेने नहीं आया. सागर अवधिया ने बताया कि हम सभी मेरिट होल्डर हैं और डेढ़ साल तक काम कर चुके हैं. सरकारी नौकरी को स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है, लेकिन अगर बीच में नियम बदलकर नौकरी से निकाला जाएगा तो सरकारी नौकरियों पर से लोगों का भरोसा खत्म हो जाएगा. कई शिक्षक दूसरी नौकरियां छोड़कर यहां आए थे. अब उनकी उम्र भी सरकारी नौकरी के लिए पार हो चुकी है. हम पढ़े-लिखे, बीएड डिग्रीधारी लोग हैं. यह न्याय नहीं है.
महिला शिक्षकों का छलका दर्द
निष्कासित सहायक शिक्षिका भावना बसोने ने कहा कि धरना स्थल तुता में प्रदर्शन करते हुए एक महीना पूरा हो चुका है. नए साल के मौके पर जहां लोग खुशियां मना रहे थे, वहीं हमें टर्मिनेशन लेटर बाय पोस्ट भेजा गया. यह हमारे लिए बहुत ही दुखद और अपमानजनक स्थिति है. वहीं अर्चना साहू ने भावुक होते हुए कहा कि मैंने बच्चों और संयुक्त परिवार के बीच संघर्ष करते हुए पढ़ाई पूरी की. जब नौकरी मिली तो सभी बहुत खुश थे. लेकिन, सरकार ने मेरे परिवार को टर्मिनेशन लेटर भेजकर हमारे जीवन को संकट में डाल दिया. मेरी शादी को 10 साल हो गए हैं और यह नौकरी मेरे लिए एक सम्मान और सहारा थी.
सरकार ने समस्या का नहीं किया है समाधान
सहायक शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने अब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया है. वे मांग कर रहे हैं कि समिति में उनका प्रतिनिधि शामिल हो और उन्हें न्याय मिले. उनका कहना है कि अगर यह समस्या जल्द हल नहीं हुई तो यह ना केवल उनके लिए, बल्कि भविष्य के लिए भी एक बड़ा संकट बन जाएगा. अब सवाल यह है कि सरकार इन शिक्षकों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए क्या कदम उठाएगी? क्या इन शिक्षकों को उनका हक मिलेगा, या वे इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे?
Raipur,Chhattisgarh
January 14, 2025, 11:53 IST