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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में हसदेव नदी के किनारे 28 करोड़ साल पुराना समुद्री जीवाश्म मिला है. अब प्रदेश सरकार इस इलाके को एक मैरीन फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है.
नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ का मनेन्द्रगढ़ जिला अब इतिहास और प्रकृति प्रेमियों के लिए नया आकर्षण बनने जा रहा है. यहां हसदेव नदी के किनारे 28 करोड़ साल पुराना समुद्री जीवाश्म मिला है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार एक मैरीन फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित करने की तैयारी कर रही है. यह पार्क न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे एशिया का गौरव बनने वाला है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर जीवन की कहानी करोड़ों साल पहले लिखी गई थी और मनेन्द्रगढ़ का यह जीवाश्म उसी कहानी का एग्जाम्पल है. जीवाश्मों में बाइवाल्व मोलस्का, युरीडेस्मा, एवीक्युलोपेक्टेन, और क्रिनॉएड्स जैसे समुद्री जीवों के अवशेष मिले हैं, जो धरती के पुराने जलवायु और भूगर्भीय बदलावों की गवाही देते हैं.
28 करोड़ साल पहले, वर्तमान हसदेव नदी की जगह पर एक विशाल ग्लेशियर हुआ करता था. भूगर्भीय बदलावों के चलते, यह क्षेत्र ‘टाथिस समुद्र’ का हिस्सा बना और समुद्री जीव-जंतु यहां तक पहुंचे. हालांकि ये जीव धीरे-धीरे विलुप्त हो गए, लेकिन उनके अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं.
जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स के रूप में मिली मान्यता
1954 में पहली बार इस क्षेत्र की खोज भूवैज्ञानिक एसके घोष ने की थी. इसके बाद, 2015 में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइंसेज, लखनऊ ने इन जीवाश्मों के महत्व की पुष्टि की. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 1982 में इस क्षेत्र को नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स के रूप में मान्यता दी. मैरीन फॉसिल्स पार्क के रूप में विकसित होने के बाद यह क्षेत्र एक बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट के रूप में पर्यटकों और वैज्ञानिकों के लिए खुल जाएगा. यहां आने वाले सैलानी करोड़ों साल पुराने जीवों की उत्पत्ति और उनके विकास की कहानी को देख और समझ सकेंगे.
छत्तीसगढ़ सरकार इस परियोजना को विशेष महत्व दे रही है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, कोलकाता और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट, लखनऊ की टीमों ने इस क्षेत्र का अध्ययन कर इसकी संभावनाओं का जायजा लिया है. उम्मीद है कि यह पार्क छत्तीसगढ़ को वैश्विक नक्शे पर एक नई पहचान देगा.