Last Updated:
India’s Largest Tree:छत्तीसगढ़ में ऐसा पेड़, जिसे स्थानीय लोग देवतुल्य मानते हैं, यह भारत के सबसे पुराने जीवित वृक्षों में से एक भी है. वन विभाग देशभर में डाटा इकट्ठा करने में लगा है, कि इस महावृक्ष से बड़ा पेड़ देश में है या नहीं.
साल का वृक्ष
कोरबा:- छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है. यहां स्थित एक विशालकाय पेड़, जिसे स्थानीय लोग देवतुल्य मानते हैं, न केवल क्षेत्र की पहचान बना हुआ है, बल्कि यह भारत के सबसे पुराने जीवित वृक्षों में से एक भी है. यह अद्भुत महावृक्ष करीब 1400 साल पुराना है, और इसकी उपस्थिति पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है. इस प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने और इसके महत्व को समझने के लिए वन विभाग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, और देशभर में डाटा इकट्ठा करने में लगा है, कि इस महावृक्ष से बड़ा पेड़ देश में है या नहीं.
ग्रामीण करते हैं इसकी पूजा
आपको बता दें, कि यह विशालकाय महावृक्ष स्थानीय ग्रामीणों के लिए केवल एक प्राकृतिक वस्तु नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. हर शुभ कार्य की शुरुआत इस महावृक्ष की पूजा से की जाती है, जिससे इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है.
यह है वन विभाग का उद्देश्य
आपको बता दें, कि प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने और इसके महत्व को समझने के लिए वन विभाग ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है. विभाग देशभर में डाटा इकट्ठा करने में जुटा हुआ है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस महावृक्ष से बड़ा कोई अन्य पेड़ भारत में है या नहीं. इस पहल का उद्देश्य न केवल इस अद्वितीय वृक्ष को संरक्षित करना है, बल्कि इसे देश के अन्य हिस्सों में पहचान दिलाना भी है.
हजारों पर्यटक आते हैं वृक्ष को देखने
हर साल, हजारों पर्यटक इस 1400 साल पुराने महावृक्ष को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. यह वृक्ष पर्यटकों के लिए एक आकर्षण है. वन विभाग की इस पहल से उम्मीद है, कि देशभर में इस महावृक्ष की पहचान और संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, और आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे एक जीवित धरोहर के रूप में सुरक्षित रखा जा सकेगा.
साल वृक्ष से आधा दर्जन से ज्यादा मिलते हैं उत्पाद
आपको बता दें, कि साल छत्तीसगढ़ का राजकीय पेड़ है, इसे सरई भी कहा जाता. यह आदिवासियों के लिए पूजनीय है, क्योंकि आधा दर्जन से ज्यादा उत्पाद इसी एक पेड़ से मिलते हैं. इससे इमारती व जलाऊ लकड़ी, साल का बीज, धूप, दोना-पत्तल बनाने के लिए उपयोगी पत्ते, दातून व कई तरह की औषधियां मिलती हैं. साल वृक्ष के नीचे एक विशेष तरह का मशरूम मिलता है जिसे बोड़ा कहा जाता है.