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Janjgir Champa News: इस गांव में आज भी मशीन नहीं बैलगाड़ी का ही उपयोग हो रहा है. दरअसल इस ग्रामीण क्षेत्र में किसान अपने कार्यों को पारंपरिक रीति-रिवाज से खुद से कर रहे हैं.
धान मिसाई
जांजगीर चांपा:- आज के समय में लगभग सभी काम मशीनों से किया जा रहा है, चाहें वह खेती करना हो या किसी और क्षेत्र का काम हो, लेकिन आज हम आपको ऐसे क्षेत्र के बारे में बताते हैं, जहां आज भी मशीन नहीं बैलगाड़ी का ही उपयोग हो रहा है.
दरअसल इस ग्रामीण क्षेत्र में किसान अपने कार्यों को पारंपरिक रीति-रिवाज से खुद से कर रहे हैं, आपको बता दें, कि जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर दल्हा पहाड़ के समीप कटघरी गांव है, जहां के किसानों के द्वारा आज भी पारंपरिक तौर पर बेलन बैलगाड़ी से धान की मिसाई की जाती है, किसान बैलगाड़ी से खेतों से धान लाकर बेलन बैलगाड़ी से धान की मिसाई कर रहे हैं, और हाथ वाले पंखे से धान की सफाई करते हैं, उन्होंने बताया, कि वह परंपरा को बनाए रखने के लिए उत्साह के साथ आधुनिक पीढ़ी को संदेश दे रहे हैं, और साथ ही बैल गाड़ी से धान मिसाई का बच्चे भी खूब आनंद ले रहे है.
बेलन में धान की मिसाई करने से अच्छा रहता है
किसान अश्वनी बाई ने बताया, कि बेलन में धान की मिसाई करने से धान और पारा दोनों ही अच्छा रहता है, दोनों में नुकसान नहीं होता है, इससे पैरा को मवेशी को चारा के रूप में खिलाते हैं, ट्रैक्टर से मिसाई करने पर बहुत ज्यादा नुकसान होता है, बेलन में मिसाई करने पर एक दिन में पूरा एक खरही (बंडल) की मिसाई करते हैं.
मशीन से मिसाई करने पर पैसा लगेगा
किसान शिला बाई ने बताया, कि पूर्वजों के समय से चली आ रही परंपरा से हम खेती किसानी कर रहे हैं, बेलन में धान की मिसाई करने से पैरा खराब नहीं होता है, मशीन में करने से उसका ऑयल लगने से वह खराब हो जाता है, और मशीन से मिसाई करने पर पैसा भी लगेगा, लेकिन बेलन में करने से नहीं लगेगा, क्योंकि घर मवेशी हैं, उसी से कृषि संबंधित सभी कार्य कर लेते है. बैल और किसान का रिश्ता पशुपालन और कृषि के क्षेत्र आज भी महत्वपूर्ण है, अश्वनी बाई कहती हैं, मवेशियों को अपने बच्चे की तरह पालते-पोसते हैं, उन्हें भी मनुष्यों की तरह बुढ़ापे में खूंटे पर बांधकर खिलाना चाहिए.