बिलासपुर:- बिलासपुर के वीरेंद्र शास्त्री, जो पुलिस विभाग में गनमैन के तौर पर काम करते हैं, उन्होंने अपने 36वें जन्मदिन को खास और यादगार बना दिया. उन्होंने इस दिन पर देहदान करने का फैसला लिया. उनका कहना है कि यह कदम दूसरों की जिंदगी को बेहतर बनाने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए उठाया गया है.
कौन हैं वीरेंद्र शास्त्री?
वीरेंद्र शास्त्री बिलासपुर के बिल्हा ब्लॉक के रहने वाले हैं और अपने परिवार के साथ शहर में रहते हैं. पुलिस विभाग में अपनी ड्यूटी के साथ-साथ उन्होंने समाज की भलाई के लिए भी काम करने की ठानी है. वीरेंद्र का मानना है कि “मौत के बाद अगर हमारा शरीर किसी के काम आ सके, तो इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं”.
माता-पिता से ली प्रेरणा
वीरेंद्र ने अपने माता-पिता से सीखा कि हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए. उन्होंने लोकल 18 को बताया कि अगर किसी का कोई अंग खराब हो जाए, तो उसकी जिंदगी बहुत मुश्किल हो जाती है. अंगदान से ऐसे लोगों को नया जीवन मिल सकता है. साथ ही मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए यह शरीर पढ़ाई और प्रैक्टिकल में मददगार साबित होगा. अपने इस फैसले को अंजाम देने के लिए वीरेंद्र ने बिलासपुर के एक बड़े अस्पताल सिम्स में देहदान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. उन्होंने डॉक्टरों और विशेषज्ञों से प्रक्रिया को अच्छे से समझा और अपने परिवार और दोस्तों को भी इस काम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.
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समाज के लिए दिया बड़ा संदेश
वीरेंद्र ने कहा कि देहदान से किसी जरूरतमंद को नया जीवन मिलता है. यह सिर्फ एक व्यक्ति की मदद नहीं है, बल्कि पूरी मानवता के लिए बड़ा काम है. उन्होंने सबको इस नेक काम में हिस्सा लेने की अपील की. वीरेंद्र के इस कदम की हर किसी ने तारीफ की. उनके दोस्तों, परिवार और सहयोगियों ने उन्हें इस फैसले के लिए शुभकामनाएं दीं. उनकी इस पहल ने समाज में देहदान और अंगदान के महत्व को लेकर एक नई जागरूकता फैलाई है. वीरेंद्र शास्त्री का यह कदम सिखाता है कि हम अपने जीवन को दूसरों के लिए कितना उपयोगी बना सकते हैं. उनका यह फैसला न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक बड़ा प्रयास भी है.
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FIRST PUBLISHED : January 3, 2025, 20:25 IST