Friday, January 3, 2025
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गौतमबुद्ध नगर किसान आंदोलन : सुखबीर खलीफा, सोरन प्रधान समेत कई नेताओं ने टिकैत संगठन पर लगाए गंभीर आरोप


Noida News : गौतमबुद्ध नगर में किसान आंदोलन संयुक्त मोर्च के बैनर तले शुरू हुआ था। कुछ बवाल हुआ और कई किसान नेता जेल भी गए। लेकिन सोमवार को राकेश टिकैत की महापंचायत से कुछ किसान नेता नदारद दिखे, जिसके बाद कयास लगाए गए कि अंदरखाने कुछ खटपट चल रही है। मंगलवार को यह बात सच साबित हुई। भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा और किसान एकता संघ ने एक प्रेसनोट जारी राकेश टिकैत और उनके संगठन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। 

टिकैत संगठन लोग भागे 
प्रेसनोट के मुताबिक गौतमबुद्ध नगर की धरती संघर्ष और साहस को झेलने वाले योद्धाओं की धरती के रूप में जानी जाती है, यहां पर उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो अपना जमीर बेचकर जेल जाने के डर से दिखावटी बैठकें करने का षडयंत्र रचते हैं। संयुक्त मोर्चा गौतमबुद्ध नगर के निर्णय के अनुसार सभी संगठनों ने सर्वसम्मति से 2 दिसंबर को पुलिस प्रशासन द्वारा दिल्ली कूच के दौरान दलित प्रेरणा स्थल के अंदर धरना दिया और प्रशासन द्वारा दिए गए सात दिनों के अंदर मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ बैठक का इंतजार किया। प्रशासन की मंशा के अनुसार 3 दिसंबर की सुबह हवन करते हुए किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया, फिर 4 दिसंबर की महापंचायत जिसमें टिकैत संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व पश्चिमी प्रदेश अध्यक्ष शामिल थे, में पुलिस ने सभी किसानों को जेल से रिहा कर दिया, फिर तय हुआ कि 5 दिसंबर से वार्ता का सिलसिला शुरू होगा, लेकिन 4 दिसंबर की रात को ही सुखवीर खलीफा व सोरन प्रधान समेत 34 किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया और टिकैत संगठन के लोग वहां से भागते नजर आए, ऐसा क्या था कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया? फिर डॉ. रूपेश वर्मा के संगठन से वीर सिंह नेताजी के नेतृत्व में 44 किसानों ने 5 दिसंबर से बागडोर संभाली और गिरफ्तारियों का दौर जारी रखा और इसी क्रम में 6 दिसंबर को भारतीय किसान परिषद के उदल आर्य व किसान एकता संघ से सोरन प्रधान के साथियों द्वारा करीब 100 किसानों को गिरफ्तार कराया गया। 

टिकैत संगठन गिरफ्तारी के डर से से पीछे हटा
प्रेसनोट के मुताबिक 4 दिसंबर से 10 दिसंबर तक किसानों की गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी रहा जिसमें करीब 150 किसान जेल गए तब राकेश टिकैत का यह संगठन डर के मारे चुप रहा और गिरफ्तारी के डर से निष्क्रिय दिखाई दिया अगर मूल्यांकन करें तो पता चलेगा कि टिकैत संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और पश्चिमी प्रदेश अध्यक्ष पहली बार किसानों की लड़ाई लड़ते हुए एक दिन के लिए जेल गए और डर गए फिर उनमें जेल भरो आंदोलन में भाग लेने और किसानों के लिए सच्चाई के साथ लड़ने की हिम्मत नहीं हुई। राकेश टिकैत ने 25 नवंबर 2024 को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में आयोजित महापंचायत में कहा था कि 41 दिन जेल काटने के बाद आप किसान नेता बन पाओगे, लेकिन उनके नेता पहली बार एक दिन के लिए जेल गए और डर कर बैठ गए, अब गौतमबुद्ध नगर का किसान पूछता है कि बाकी 40 दिन की जेल से बचने के लिए यह ड्रामा रचा गया कि मुख्य रूप से भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान एकता संघ, भारतीय किसान यूनियन (अजगर) और जय जवान जय किसान मोर्चा के किसान जेल गए। 

टिकैत संगठन घरों में दुबका
प्रेसनोट के मुताबिक राकेश टिकैत के संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को पुलिस प्रशासन ने न तो गिरफ्तार किया और न ही उन्होंने एक संयुक्त मोर्चे का फर्ज निभाते हुए आत्मसमर्पण किया, इससे सीधे तौर पर सवाल उठता है कि राकेश टिकैत के संगठन के किसानों ने डर के कारण अंदरूनी समझौता कर अपने घरों में दुबकना सही समझा। फिलहाल राकेश टिकैत ने इस फैसले को गलत बताते हुए कहा है कि दलित प्रेरणा स्थल पर धरना देने के फैसले से उनका कोई संबंध नहीं है, जबकि उनके ही राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और पश्चिमी प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी राय रखते हुए दिल्ली रैली के दौरान दलित प्रेरणा स्थल पर धरना दिया था। 

किसानों की लडाई रहेगी जारी 
प्रेसनोट के मुताबिक किसानों की लड़ाई में जेल जाना सरकार के सामने उनके मुद्दे उठाता है, लेकिन यहां भी राकेश टिकैत का संगठन गायब था, ऐसे में आम लोगों का कहना है कि टिकैत का संगठन सिर्फ एक दिन का धरना देता है, सुबह जाते हैं और शाम को घर वापस आ जाते हैं। भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा और किसान एकता संघ इन सब बातों से सहमत नहीं है, हम किसानों के लिए जेल जाएंगे, लाठियां भी खाएंगे, हर अत्याचार सहेंगे लेकिन किसानों के 10 प्रतिशत विकसित भूमि के अधिकार, नए अधिग्रहण कानून 2013 को लागू करने और प्राधिकरण स्तर पर पूर्व में उच्च समिति की सिफारिशों को लागू करने की लड़ाई जारी रखेंगे।

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