बिलासपुर:-छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित देव नगरी मल्हार अपनी प्राचीन धरोहरों और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यहां के एक निजी संग्रहालय ने हजारों साल पुराने सोमवंशी और कलचुरी शासनकाल के अवशेषों को संजोकर इतिहास के पन्नों को जीवंत कर दिया है. इस संग्रहालय के संचालक राजेश पांडे ने अपनी पारिवारिक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए मूर्तियों, प्राचीन सिक्कों और अन्य ऐतिहासिक सामग्रियों को सुरक्षित रखा है. उनकी यह पहल दूर-दूर से आने वाले इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं को आकर्षित कर रही है.
प्राचीन इतिहास की झलक देता संग्रहालय
आपको बता दें कि मल्हार का यह निजी संग्रहालय इतिहास की अनमोल धरोहरों से सुसज्जित है. यहां तांबे, पीतल और अन्य धातुओं के सिक्के, राजा-महाराजाओं की पद मुद्राएं, तामपत्र और टोंटी युक्त सुरापान के घड़े जैसे अनोखे अवशेष सहेजकर रखे गए हैं. वहीं इसके अलावा, कामाख्या देवी, गणेश-लक्ष्मी और बौद्ध मूर्तियां भी इस संग्रहालय की शोभा बढ़ाती हैं. खंडित मूर्तियां भी मल्हार के गौरवशाली अतीत की कहानी कहती हैं.
तीन पीढ़ियों से इतिहास के रखवाले
वहीं राजेश पांडे का परिवार तीन पीढ़ियों से इन ऐतिहासिक सामग्रियों का संरक्षण कर रहा है. राजेश पांडे बताते हैं, कि उनके पूर्वजों ने इस धरोहर को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी स्वयं उठाई. अब, वे इस परंपरा को एक निजी संग्रहालय के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं. यह संग्रहालय न केवल प्राचीन मल्हार की समृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत से जोड़ने का माध्यम भी है.
संरक्षण में कमी पर चिंता
वहीं दूसरी ओर राजेश पांडे शासन-प्रशासन की ओर से संरक्षण के दावों पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, कि जिस स्तर पर कार्य होना चाहिए, वह नहीं हो रहा. उन्हें डर है कि मल्हार का इतिहास केवल किताबों में सिमटकर न रह जाए. इसी सोच ने उन्हें निजी संग्रहालय बनाने और प्राचीन धरोहरों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित किया. इस संग्रहालय के जरिए राजेश पांडे न केवल इतिहास को जीवित रख रहे हैं, बल्कि मल्हार के प्राचीन गौरव को भी संरक्षित कर रहे हैं. उनका यह प्रयास ऐतिहासिक धरोहरों की अहमियत को समझने और सहेजने का एक शानदार उदाहरण है.
भारतीय पुरातत्व विभाग की उपेक्षा की शिकार प्राचीन धरोहर
मल्हार में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का एक प्राचीन स्मारक खुली धूप, बारिश और उपेक्षा का शिकार हो रहा है. संरक्षण के अभाव में यह स्मारक टूट-फूटकर क्षतिग्रस्त हो रहा है. स्थानीय लोगों और इतिहास प्रेमियों का कहना है, कि विभाग को इस ऐतिहासिक संपदा की देखभाल के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए.
खुदाई में मिली प्राचीन सामग्री नागपुर में संग्रहित
आपको बता दें कि मल्हार में खुदाई के दौरान मिली कई बहुमूल्य प्राचीन सामग्रियां, नागपुर के संग्रहालय में रखी गई हैं. इन सामग्रियों को मल्हार में ही संग्रहालय बनाकर संरक्षित किया जाना चाहिए, ताकि यह धरोहर यहीं बनी रहे और मल्हार का ऐतिहासिक महत्व संरक्षित रह सके. तो वहीं स्थानीय लोग और विशेषज्ञ मानते हैं कि मल्हार में एक संग्रहालय बनाकर प्राचीन सामग्रियों को प्रदर्शित करने से न केवल यहां की धरोहर सुरक्षित रहेगी, बल्कि इससे पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी. यह कदम मल्हार को एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान दिलाने में मददगार साबित हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 10:16 IST