Tricity Today | आरोपियों से बरामद चोरी के मोबाइल
Noida News : दिल्ली-नोएडा एनसीआर में मोबाइल चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले एक लिटिल गैंग का थाना फेज-2 पुलिस ने पर्दाफाश किया है। इस गैंग की सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि पकड़े गए पांचों आरोपी नाबालिग हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने चौंका देने वाले खुलासे किए हैं। जिसे सुनने के बाद पुलिस भी हैरत में है। आरोपियों ने पूछताछ करने पर 100 से अधिक मोबाइल चोरी की वारदातों को अंजाम दिए जाने की बात स्वीकार की है। आरोपी चोरी किए मोबाइल फोन को झारखंड और पश्चिम बंगाल में बेचते थे।
दो अनपढ़ और बाकी तीन प्राइमरी तक पढ़े
एडीसीपी हृदेश कठेरिया ने बताया कि दिल्ली-नोएडा एनसीआर में मोबाइल चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए पांच नाबालिगों को गिरफ्तार किया है। पांचों आरोपी दिल्ली एनसीआर के भीड़भाड़ वाले बाजारों, सब्जी और फल मंडियों और साप्ताहिक बाजारों में लोगों के मोबाइल फोन चुरा लेते थे। एडीसीपी ने बताया कि थाना फेज-2 पुलिस भंगेल मंडी के पास चेकिंग की जा रही थी। इस दौरान मुखबिर से सूचना मिलने पर यहां से दो नन्हे चोरों को पकड़ा गया। इनके पास से 30 मोबाइल फोन बरामद हुए। इनसे पूछताछ करने पर तीन और नन्हे चोर पकड़े गए। बाकी 27 मोबाइल बरामद किए गए। इन पांचों को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जहां से सभी को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। इन सभी में दो अनपढ़ हैं और बाकी तीन प्राइमरी तक पढ़े हैं।
किराए पर लेते थे कमरा
ये पांचों मिलकर स्टेशन और मंडी जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में कमरा किराए पर लेते थे। पहचान पत्र मांगने पर कहते थे कि चार-पांच दिन में उनके माता-पिता आएंगे और पहचान पत्र लेकर आएंगे। पांच दिन में यहां से मोबाइल चुराकर झारखंड या पश्चिम बंगाल भाग जाते थे। वहां मोबाइल बेच देते थे। पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से 12 लाख रुपये कीमत के 57 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। इस गिरोह में अन्य लोग भी शामिल हैं। इनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।
इन जगहों पर करते थे वारदात
आरोपी बाजार और साप्ताहिक बाजारों में नियमित रूप से आने वाले ग्राहकों, खासकर महिलाओं को अपना निशाना बनाते थे। ये ग्राहकों के ध्यान भटकने का इंतजार करते थे। जरा सी चूक होने पर तुरंत मोबाइल लेकर गायब हो जाते थे। ये सभी समूह में काम करते थे। मोबाइल चुराने के बाद जैसे ही उन्हें पकड़े जाने की आशंका होती थे।, वे मोबाइल को अपने दूसरे साथी को सौंप देते थे। चोरी से पहले और बाद की योजना बनाते हैंमोबाइल बटोरने के बाद वे झारखंड या पश्चिम बंगाल जाकर उन्हें बेहद कम कीमत पर बेच देते थे।