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Noida News : जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) से फ्लैट खरीदने वाले होमबायर्स की मुश्किलें अब भी खत्म होती नहीं दिख रही हैं। कई सालों से जिस प्रोजेक्ट का इंतजार किया जा रहा था, वह अब भी अधूरा पड़ा है, और होमबायर्स के चेहरे पर मायूसी के साथ एक नई चिंता और बढ़ गई है। उनके द्वारा लगाए गए पैसे का कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया है, और सुरक्षा ग्रुप द्वारा किए गए वादों के बावजूद निर्माण कार्य की गति धीमी है।
न एस्क्रो खाते खोले गए, न फ्लैटों का निर्माण शुरू हुआ
मार्च 2023 में समाधान योजना की स्वीकृति के बाद और मई 2023 में अपीलीय ट्रिब्यूनल द्वारा मंजूरी मिलने के बावजूद, सुरक्षा ग्रुप ने फ्लैटों के निर्माण में कोई प्रगति नहीं की है। सुरक्षा ग्रुप ने दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण किया है, लेकिन होमबायर्स का आरोप है कि सुरक्षा ग्रुप ने अब तक आवश्यक 3,000 करोड़ रुपये जुटाने, निर्माण कार्य के लिए श्रमिकों की तैनाती करने और एस्क्रो खाते खोलने में कोई कदम नहीं उठाया है। समाधान योजना के अनुसार, सुरक्षा ग्रुप को 90 दिनों के भीतर निर्माण कार्य फिर से शुरू करने का आदेश दिया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो सका है।
एनसीएलटी ने फिर से उठाया मामला
इस मुद्दे पर होमबायर्स ने एक बार फिर से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का रुख किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सुरक्षा ग्रुप ने समाधान योजना के अंतर्गत निर्धारित समय सीमा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस मामले में 10 दिसंबर को एनसीएलटी ने सुरक्षा ग्रुप, जेपी इंफ्राटेक, इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) और पूर्व अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) अनुज जैन को नोटिस जारी किया। अब अगली सुनवाई 8 जनवरी को होने वाली है।
एक दशक से फ्लैटों का इंतजार
सुरक्षा द्वारा दी गई योजना के बावजूद, फ्लैटों का निर्माण कार्य न केवल धीमा है, बल्कि अधिकांश परियोजनाओं में निर्माण कार्य पूरी तरह से रुका हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, होमबायर्स लगभग एक दशक से इस प्रोजेक्ट के लटकने का सामना कर रहे हैं। जेपी इंफ्राटेक रियल एस्टेट अलॉटीज वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष आशीष मोहन गुप्ता का कहना है कि अब तक कोई भी फंड जुटाया नहीं गया है, जबकि सुरक्षा को नौ लंबित परियोजनाओं के निर्माण के लिए 3,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था करनी थी।
56 टावरों पर अब तक कोई प्रगति नहीं
होमबायर्स ने यह भी आरोप लगाया कि सुरक्षा द्वारा योजना की मंजूरी के चौथे महीने में निर्माण गति बढ़ाने के वादों के बावजूद, निर्माण गतिविधियां पूरी तरह से बंद हो गई हैं। आईआरपी के कार्यकाल के दौरान किए गए सीमित कार्य, पिछले ठेकेदार को हटाने के बाद रुक गए। नौ परियोजनाओं में 97 टावरों के निर्माण का काम था, लेकिन अगस्त 2024 तक केवल 41 टावरों के लिए निविदाएं जारी की गईं, जबकि शेष 56 टावरों पर अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
सुरक्षा ग्रुप का दावा और निर्माण कार्य पर असर
सुरक्षा ग्रुप ने इस मामले में दावा किया है कि उसने परियोजना के लिए 125 करोड़ रुपये का ऋण सुविधा, 3,000 करोड़ रुपये की क्रेडिट लाइन और 1,000 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट की व्यवस्था की है। इसके बावजूद, समूह ने यह भी स्वीकार किया कि नवंबर से लागू हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है। GRAP के तहत, प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के कारण निर्माण कार्य पर असर पड़ा है, लेकिन सुरक्षा ग्रुप का कहना है कि यह अस्थायी प्रभाव है और जल्द ही स्थिति बेहतर होगी।
तकनीकी दिक्कतें और निर्माण में देरी
इस मामले में सबसे बड़ी समस्या यह है कि समाधान योजना के अनुसार शुरू किए गए निर्माण कार्य में तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं, जिनका सीधा असर निर्माण की गति पर पड़ रहा है। कई बार यह आरोप भी लगाया गया कि सुरक्षा ग्रुप ने आवश्यक निवेश और श्रमिकों की तैनाती में लापरवाही बरती है, जिससे परियोजना की प्रगति में रुकावट आई है।
8 जनवरी को होगी एनसीएलटी में अगली सुनवाई
होमबायर्स अब एक बार फिर से न्याय की उम्मीद में एनसीएलटी की ओर देख रहे हैं। 8 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यदि सुरक्षा ग्रुप को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, तो इससे अन्य होमबायर्स के लिए भी उम्मीद जगी जा सकती है। लेकिन अब सवाल यह है कि क्या सुरक्षा ग्रुप समय रहते अपनी वादों को पूरा कर पाएगा और खरीदारों को उनका घर मिलेगा, या फिर यह मामला लंबा खींचता रहेगा?