रायपुर. पद्मश्री से सम्मानित भारती बंधु छत्तीसगढ़ के रायपुर में बसे ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने कबीर की भक्ति संगीत को ना केवल देश बल्कि विदेशों तक पहुंचाया. मूलतः बस्तर से ताल्लुक रखने वाले भारती बंधु पांचवीं पीढ़ी के ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने अपनी पारंपरिक भक्ति संगीत शैली में नवाचार करते हुए आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया. कठिन संघर्षों के बीच उन्होंने कबीर गायन की एक विशिष्ट शैली विकसित की, जिसे आज पूरे विश्व में पहचान मिल रही है.
पद्मश्री भारती बंधु ने लोकल 18 को बताया कि पिताजी बस्तर के जगदलपुर से हैं. माता जी उड़ीसा से हैं और पिताजी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं. स्वतंत्रता के बाद बस्तर से रायपुर में सेटल हो गए और सारी शिक्षा दीक्षा रायपुर में हुई है. भक्ति संगीत हमारी परंपरा में चली आ रही है. पिताजी तक किसी धार्मिक अनुष्ठान या किसी मंदिरों में ही हमारे परंपरा की गायन किया जाता था. इसको जन मानस में लाने की चेष्टा की है और इस तरह का प्रयास किया है.
कबीर गायन शैली को विश्वभर में दिलाई प्रसिद्धि
उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में काफी तकलीफ हुई, क्योंकि उस समय डिस्को का जमाना था. लोगों के बीच वेस्टर्न बहुत हावी था. आज भी है, लेकिन उस समय बहुत ज्यादा था. लोग कहते थे कि आज के जमाने में इनका भजन कौन सुनेगा. लेकिन, हमने प्रयोग किया और हमारा भजन लोगों को अच्छा लगने लगा. शुरुआती दौर में मानदेय नहीं मिलता था. साथ ही कहीं आने-जाने से रिक्शे का भी पैसा नहीं मिलता था. साइकिल में हारमोनियम, तबला को बांधकर कार्यक्रम में जाते थे. लोगों को जब लगा कि अच्छा काम कर रहे हैं तो फिर लोग रिक्शे का पैसा देने लगे. कुछ समय के बाद से आंशिक मानदेय राशि मिलने लगा. छत्तीसगढ़ के लोगों ने इस ऊंचाई पर पहुंचा दिया कि देश-विदेश में भारती बंधु का नाम है. कबीर गायन में अपना इन्वेंशन और शोध किया है. खुद का स्टाइल डेवलप किया और यह अब पूरी दुनिया में फेमस है. जहां भी कबीर पर चर्चा होती है, वहां पर लोग भारती बंधु की चर्चा अवश्य करते हैं, यह बड़ी उपलब्धि है.
10 हजार से अधिक कार्यक्रम कर चुके हैं भारती बंधु
पद्मश्री भारती बंधु ने बताया कि अब तक लगभग 10 हजार से अधिक कार्यक्रम कर चुके हैं. वहीं 30 यूनिवर्सिटी और 30 से अधिक जेलों में कार्यक्रम किया है. 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों को कबीर गायन से अवगत कराया है. स्कूल लेवल से लेकर के यूनिवर्सिटी लेवल तक के और अनेकों जगह कार्यक्रम किया है. अभी पिछले वर्ष 22 जून को कबीर जयंती के मौके पर छत्तीसगढ़ के सभी जेलों में कबीर गायन का आयोजन किया गया. इससे लोगों में बहुत प्रभाव पड़ा है. जेल के बंदी भी प्रभावित हुए और उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगा है.
भारती बंधु को मिल चुका है कई सम्मान
विशिष्ट शैली में कबीर गायन के कारण 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 2015 में विश्व के सबसे बड़े संगीत विश्वविद्यालय यानी खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से डीलिट की उपाधि मिली. 2020 में राज्य का श्रेष्ठ शिखर चक्रधर सम्मान मिला. वहीं 2021 में भारत का श्रेष्ठ और शिखर अखिल भारतीय सम्मान, मध्यप्रदेश शासन की ओर से तुलसी सम्मान दिया गया. पद्मश्री भारती बंधु दर्जनों राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय सम्मान से नवाजे जा चुके हैं.
Tags: Chhattisagrh news, Local18, Raipur news, Success Story
FIRST PUBLISHED : December 22, 2024, 19:10 IST