Google | symbolic image
Noida News : साइबर अपराधी अब आम लोगों के साथ-साथ बड़ी कंपनियों को भी निशाना बना रहे हैं। हाल ही में नोएडा के सेक्टर-62 स्थित एक प्रतिष्ठित कंपनी से 1 करोड़ 55 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। कंपनी के स्टाफ सदस्य संतोष कुमार झा ने इस घटना की शिकायत साइबर थाने में दर्ज कराई है। डीसीपी साइबर प्रीति यादव ने बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है। बताया जा रहा है कि पैसे नॉटिंघम स्थित एक बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं। प्रारंभिक जांच में यह मामला फिशिंग के जरिए ठगी का लग रहा है।
साइबर ठगों ने बदला कंपनी का नाम और बैंक खाता
जानकारी के मुताबिक सेक्टर-62 में स्थित एक जर्मन सहायक कंपनी का ऑफिस है, जो टेलीकॉम प्रोडक्ट्स का कारोबार करती है। कंपनी के कर्मचारी संतोष कुमार झा की शिकायत के अनुसार, वे नियमित रूप से यूनाइटेड किंगडम की एक कंपनी से सामान खरीदते हैं। नवंबर में इस खरीदारी को लेकर कंपनी से ईमेल के माध्यम से बातचीत हुई थी और पेमेंट की डिमांड की गई थी। इसी दौरान, अचानक उसी कंपनी के नाम से एक फर्जी मेल आया, जिसमें पेमेंट के लिए एक नया बैंक अकाउंट दिया गया। बिना किसी शंका के पेमेंट उस नए अकाउंट में कर दी गई, जो बाद में ठगी का मामला निकला।
साइबर ठगों ने दिया वारदात को अंजाम
शिकायतकर्ता ने बताया कि पहली बार जब पेमेंट की कोशिश की गई, तो खाता नाम अलग होने के कारण रुपये ट्रांसफर नहीं हो सके। इसके बाद उन्हें एक और ईमेल मिला, जिसमें इस बार नॉटिंघम स्थित बैंक ब्रांच का खाता नंबर दिया गया। यह खाता भी किसी अन्य कंपनी के नाम पर था। जब उन्होंने इस बदलाव पर सवाल किया तो उन्हें वहां से कुछ दस्तावेज भेजे गए, जिनमें बताया गया कि कंपनी का नाम बदल गया है। उन दस्तावेजों को देखकर उन्हें विश्वास हो गया और उन्होंने 1 लाख 45 हजार 308 पाउंड, जो भारतीय मुद्रा में करीब 1 करोड़ 55 लाख रुपये के बराबर है, उस खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाद में यह पता चला कि यह पूरा मामला साइबर ठगी का था।
ईमेल में 7 जोड़कर किया धोखा
पीड़ित ने बताया कि जब पूरी पेमेंट के बाद भी सामान की डिलीवरी नहीं हुई, तो उन्होंने यूनाइटेड किंगडम की कंपनी से संपर्क किया। बातचीत के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उनके अकाउंट में कोई पेमेंट नहीं आया है। साथ ही, यूके की कंपनी ने यह भी बताया कि न तो उन्होंने अपना नाम बदला है और न ही बैंक अकाउंट। इसके बाद जब कंपनी ने उस ईमेल को जांचा, जिसके आधार पर पेमेंट किया गया था, तो पाया गया कि असली ईमेल आईडी में मामूली बदलाव करते हुए उसमें 7 जोड़ दिया गया था।
इन बातों का रखें ध्यान…
डीसीपी साइबर प्रीति यादव के अनुसार, यह मामला फिशिंग का है और कुछ सावधानियां अपनाकर ऐसे साइबर अपराधों से बचा जा सकता है :
ईमेल की जांच करें :
अगर किसी कंपनी की ओर से आए ईमेल में अचानक किसी बदलाव के बारे में जानकारी दी जाती है, तो ईमेल की प्रामाणिकता को ध्यान से जांचें। ठग असली मेल की तरह दिखने वाले नकली मेल बनाकर धोखा देते हैं।
नए अकाउंट की पुष्टि करें :
अगर नए बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने को कहा जाए, तो पहले संबंधित कंपनी के अधिकारियों से फोन या अन्य माध्यम से इसकी पुष्टि करें।
सीधे बातचीत करें :
केवल ईमेल पर निर्भर न रहें। किसी बड़ी डील में मेल के साथ वन-टू-वन बातचीत करने की आदत डालें।
फिशिंग से बचाव के उपाय :
किसी भी संदेहास्पद लिंक या मेल पर क्लिक करने से बचें। हमेशा ऑफिशियल वेबसाइट या वैरिफाइड नंबर के जरिए ही संपर्क करें।
साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट करें :
अगर फिर भी साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो जाएं, तो तुरंत 1930 हेल्पलाइन पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं। इसके साथ ही अपनी लोकल पुलिस को भी सूचित करें।