Google | DND फ्लाईवे
Noida News : DND फ्लाईवे बनाने वाली NTBCL कंपनी को एक और झटका लगने वाला है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने DND फ्लाईवे पर टोल नहीं लगने का फैसला सुनाया था। वहीं अब नोएडा प्राधिकरण भी कंपनी से खाली पड़ी करीब 330 एकड़ जमीन को वापस लेने की तैयारी कर रहा है। नोएडा प्राधिकरण ने साल 1997 में दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट फ्लाईवे (DND Flyway) के निर्माण के लिए नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (NTBCL) को 454 एकड़ जमीन दी थी। इस जमीन का लगभग 124 एकड़ हिस्सा डीएनडी और अन्य निर्माण कार्यों के लिए उपयोग किया जा चुका है। अब प्राधिकरण खाली पड़ी करीब 330 एकड़ जमीन को वापस लेने की तैयारी कर रहा है, जिसकी अनुमानित कीमत अरबों रुपये में है। अधिकारियों के अनुसार, इस जमीन पर कितनी खाली जगह उपलब्ध है, इसका आकलन करने के लिए फिर से सर्वे कराया जाएगा।
खाली जमीन को वापस लेने की तैयारी में प्राधिकरण
नोएडा प्राधिकरण खाली पड़ी जमीन को वापस लेगा और इसके बाद इसका इस्तेमाल करने की योजना तैयार करेगा। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि NTBCL के साथ दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट फ्लाईवे बनाने के लिए 12 नवंबर 1997 को अनुबंध हुआ था और कुछ महीने बाद ही जमीन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। यह जमीन अलग-अलग चरणों में दी गई थी। इसमें नोएडा प्राधिकरण के अलावा दिल्ली सरकार, सिंचाई विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा भी जमीन दी गई थी, जिसमें डूब क्षेत्र और अन्य प्रकार की जमीन भी शामिल हैं। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 7 फरवरी 2001 को डीएनडी फ्लाईवे का उद्घाटन हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि डीएनडी पर कोई टोल नहीं लगेगा। इससे पहले, 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी यही फैसला सुनाया था। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का विस्तृत आदेश अभी आना बाकी है, इसके बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से टोल न लिए जाने का आदेश दिया है, तो इसका मतलब यह भी है कि खाली पड़ी जमीन भी अब नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड के पास नहीं रहेगी।
सीएजी ने जताई थी आपत्ति
कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) ने वर्ष 2017 तक नोएडा प्राधिकरण से जुड़े सभी कामकाज की जांच की थी, जिसमें टोल ब्रिज कंपनी को दी गई कुल जमीन और खाली पड़ी जमीन पर आपत्ति जताई गई थी। सीएजी की रिपोर्ट में यह सवाल उठाया गया था कि यदि कीमती जमीन खाली पड़ी है, तो प्राधिकरण उसे अपने कब्जे में लेने में लापरवाही क्यों बरत रहा है। इसके जवाब में नोएडा प्राधिकरण ने सीएजी को बताया था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
जमीन वापस लेने का पहले भी उठा था मुद्दा
तत्कालीन मुख्य अभियंता (सिविल) नोएडा की ओर से 5 अगस्त 2016 और 16 अगस्त 2016 को सर्वे रिपोर्ट नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इस रिपोर्ट में गठित टीम के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं थे और रिपोर्ट में निर्माण के बाद बची 330.91 एकड़ जमीन के खसरा नंबरों को ग्रामवार चिह्नित नहीं किया गया था। इसके बाद, संबंधित अधिकारियों से हस्ताक्षर कराकर 330.91 एकड़ बची हुई जमीन का कब्जा नोएडा टोल ब्रिज कंपनी से वापस लेने के लिए 1 मार्च 2017 को तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा अनुमोदन किया गया था।