राजनांदगांव. राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य तक फैले घने जंगल हमेशा से अपनी जैव विविधता को लेकर चर्चा में रहे हैं. डोंगरगढ़ के समीपस्थ ग्राम देवकट्टा के पास निबो डैम के जंगल में बाघ के पंजों के निशान मिले हैं. अमूमन इस क्षेत्र में तेंदुवे का दिखना आम बात हो चुका है लेकिन डैम के समीप बाघ के दिखने से वन विभाग अलर्ट मोड में आ गया है और पग चिन्हों की जांच की जा रही है.
पद चिन्हों की हो रही जांच
राजनांदगांव जिले में लगातार जंगली जानवरों की आवाजाही देखी जा सकती है घने जंगलों में अमूमन बाघ और अन्य तेंदूए देखे जाते हैं, वहीं राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के देव कट्टा के पास निबो डैम में बाघ के पंजों के निशान मिले हैं. इसके बाद से ही वन विभाग अलर्ट मोड पर है और गांव के आसपास क्षेत्र में भी मुनादी कराई गई है, बाघ के पद चिन्ह की जांच की जा रही है.
प्रकृति शोध एवं संरक्षण सोसाइटी के सदस्यों को दिखा निशान
राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ से लगे क्षेत्र तीन राज्यों के सीमावर्ती इलाको में खूबसूरत मैकल पर्वतमाला और और दूर तक घने जंगल सभी वन्य प्राणी स्थाई निवास करते हैं. वर्तमान में डोंगरगढ़ क्षेत्र में वयस्क बाघ के पंजों के निशान मिले हैं, यह निशान प्रकृति शोध एवं संरक्षण सोसाइटी के सदस्यों को दिखाई दिए है. इसके बाद उन्होंने वन विभाग को सूचना दी, जिसके बाद मौके पर वन विभाग की टीम पहुंची और बाघ के पंजों को प्लास्टर ऑफ़ पैरिस के ढांचे में डाल कर उसकी जांच हेतु ऊपर कार्यालय भेज दिया गया है और वहीं पूरे मामले में वन विभाग के द्वारा जांच की जा रही है.
कॉरिडोर के रूप में बाघ करता रहा है इस्तेमाल
इस संबंध में प्रतीक ठाकुर फील्ड आर्निथोलॉजिस्ट ने बताया की यह जो छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का बॉर्डर है जो कि मैकाल पर्वत श्रेणी है, यहां बाघ के पद चिन्ह देखे गए हैं. इसकी सूचना वन विभाग को दी गई है, जहां मौके पर पहुंचकर वन विभाग की टीम के द्वारा पीओपी से पद मार्क का चिन्ह लिया गया है. अभी जिस तरीके से पद मार्क है वह फीमेल टाइगर लग रहा है. शुरू से ही बाघ इसे अपने कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं. इससे पहले भी यहां पद मार्क देखे जा चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 15:54 IST