रायपुर:- बात जब भक्ति की होती है तो राम भक्त हनुमान जी का नाम सबसे पहले हमारे जहन में आता है. धरती पर ऐसे करोड़ों भक्त हैं जो हनुमान में आस्था रखते हैं, मान्यता है कि जो हनुमान जी शरण में चला जाता है उसके सारे संकट मिट जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताते हैं, जिसकी चर्चा चारों ओर है. वैसे तो छत्तीसगढ़ में हनुमान जी से जुड़े कई मंदिर और मूर्ति स्थापित है, लेकिन रायपुर स्थित इस मंदिर में स्थापित मूर्ति जिसकी ऐतिहासिक मान्यता और रोचक जानकारी आपको दंग कर देगी
ऐसे पड़ा मठ का नाम दूधाधारी
आपको बता दें कि दूधाधारी मठ में हनुमान जी की यह स्वंयम्भू मूर्ति स्थापित है. दरअसल यह स्थान छत्तीसगढ़ रायपुर के प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक है. यह मठ अपने इतिहास और शानदार स्थापत्य कला के लिये भी पहचाना जाता है. कहा जाता है कि यह मठ 500 साल पुराना है.
मठ के महंत बलभद्र दास हनुमान जी के परम भक्त थे. पुजारी रामअवतार दास बताते हैं कि महाराज बंध तालाब के पास हरे-भरे पेड़ों के बीच अपनी कुटिया में रहते थे. बलभद्र दास का अधिकतर समय उनके इष्ट हनुमान की भक्ति में निकलता था. वह सुराही गाय के दूध से हनुमान का अभिषेक करते और उसी दूध का सेवन, इसके अलावा अन्य कोई आहार नहीं. आस-पास के लोगों ने देखा की बलभद्र सिर्फ दूध का सेवन ही करते है, तब से उन्हें ‘दूधाधारी’ के नाम से जाना जाने लगा, और यहीं से मठ का नामकरण दूधाधारी मठ हो गया.
हनुमान जी का बढ़ रहा है आकार
पुजारी रामअवतार दास आगे बताते हैं कि यहां के स्वंयम्भू हनुमान जी की लीला अपरंपार है. हनुमान जी का आकार हर साल बढ़ते ही जा रहा है. यहां की मान्यता यह भी है कि पहले मुखारविंद पूर्व दिशा में था लेकिन बालाजी मंदिर के स्थापना के बाद हनुमान जी का मुखारविंद दक्षिण दिशा में हो गया है. खुद ही करवट ले लिया है.
हनुमान जी का विशेषकर मंगलवार को श्रृंगार होता है. उन्हें चोला चढ़ाया जाता है. रोजाना सुबह स्नान-ध्यान की प्रक्रिया पूरी की जाती है. हनुमान जी को चना, गुड़, बूंदी का भोग लगता है. यह सब हनुमानवजी को बेहद प्रिय है. यहां हनुमान जी स्वयंभू हैं. लिहाजा भक्त अगर सच्चे मन से श्रीफल नारियल बांधकर मनोकामना मांगता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.
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FIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 16:22 IST