Noida News : गलगोटियाज यूनिवर्सिटी ने विश्व दिव्यांगता दिवस और अपने दिव्यांग अधिकार क्लिनिक (डीआरसी) की दूसरी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस वर्ष की थीम पारिवारिक समावेशन थी, जो दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और उनके परिवारों की समावेशी भूमिका पर आधारित थी। कार्यक्रम की शुरुआत दिव्यांग अधिकार क्लिनिक की संस्थापक डॉ. स्मिता निजार के स्वागत भाषण से हुई। जिसमें उन्होंने समाज में दिव्यांग व्यक्तियों की स्वीकृति और समानता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
छात्रों की टीम ने प्रस्तुत किया नुक्कड नाटक
कार्यक्रम के दौरान डीआरसी की छात्र टीम ने परवरिश शीर्षक से एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। जसमें समावेशी पालन-पोषण और दिव्यांग व्यक्तियों के खिलाफ समाज की बाधाओं के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास था। नाटक ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से छुआ और पारिवारिक स्वीकृति के महत्व पर जोर दिया। इसके अलावा दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता निलेश सिंगित और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ जगदीश चंदर ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार साझा किए।
समावेशी परिवार और समान अधिकारों के बारे में किया जागरूक
कार्यक्रम में निलेश सिंगित ने समावेशी परिवार और समान अधिकार दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कानूनी क्षमता और स्वायत्तता विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने परिवार और समाज के सहयोग से समावेशी वातावरण निर्माण की महत्ता को बताया। वहीं डॉ. जगदीश चंदर ने परिवार का अधिकार एक कानूनी अधिकार या व्यक्तिगत विकल्प पर चर्चा करते हुए दिव्यांग व्यक्तियों की पारिवारिक और सामाजिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया। इस अवसर पर डीआरसी की वार्षिक रिपोर्ट और आगामी योजनाओं का भी विमोचन किया गया।
बताई गई डीआरसी की प्रमुख उपलब्धियों
रिपोर्ट में डीआरसी की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख किया गया। जिनमें अदृश्य दिव्यांगता अधिकार सप्ताह और लैंगिक न्याय ट्विन-ट्रैक दिव्यांगता अधिकार परिप्रेक्ष्य जैसे कार्यक्रम शामिल थे। कार्यक्रम में कानून के छात्रों, शिक्षकों, दिव्यांग छात्रों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने दिव्यांग व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के सीईओ डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने इस पहल को समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को सशक्त बनाने के लिए एक मील का पत्थर बताया।